गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी रोकने के लिए सरकार सख्त, स्टॉक सीमा में कमी संभव

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नई दिल्ली। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 2024-25 के रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन तेजी से बढ़कर 1175.10 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है। गेहूं की सरकारी खरीद भी बढ़कर 300 लाख टन के करीब पहुंच गई है जो गत चार वर्षों का सबसे ऊंचा स्तर है।

इस बार प्राइवेट क्षेत्र को भी अच्छी मात्रा में गेहूं खरीदने का मौका मिला है। सरकार को उम्मीद थी कि इस बार घरेलू बाजार में गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम बनी रहेगी और कीमतों में ज्यादा तेजी नहीं आएगी।

लेकिन उसकी उम्मीद के विपरीत जब गेहूं का भाव तेज होने लगा तब उसने आवश्यक एहतियाती कदम उठाने में देर नहीं की और मई के अंतिम सप्ताह में ही गेहूं पर भंडारण सीमा का आदेश लागू कर दिया।

हालांकि इस आदेश के अंतर्गत फिलहाल भंडारण की मात्रा ऊंची नियत की गई है लेकिन यदि इसका संतोषजनक परिणाम सामने नहीं आया अर्थात गेहूं की कीमतों में तेजी पर ब्रेक नहीं लगा तो इस मात्रा को छोटा किया जा सकता है।

इसके अलावा सरकार एक और विकल्प पर गभीरतापूर्वक विचार कर रही है जो खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) से सम्बन्धित है। सरकार ने संकेत दिया है कि गेहूं की कीमतों में अचानक आने वाली तेजी को नियंत्रित करने के लिए वह हर संभव कदम उठाएगी और इसके लिए यदि आवश्यकता हुआ तो ओएमएसएस को भी जल्दी आरंभ किया जा सकता है।

ज्ञात हो कि इस योजना के अंतर्गत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा अपने स्टॉक से गेहूं की बिक्री के लिए साप्ताहिक ई-नीलामी आयोजित की जाती है और फ्लोर मिलर्स तथा प्रोसेसर्स को इसमें भाग लेने की अनुमति दी जाती है

गेहूं के बाजार पर सरकार की गहरी नजर है और वह इसकी कीमतों में तेजी को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकारी नीति से उन व्यापारियों / स्टॉकिस्टों की कठिनाई बढ़ गई है जिसने किसानों से ऊंचे दाम पर गेहूं की खरीद करके उसका स्टॉक बना रखा है।