चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन मंदिर रिद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में भक्तामर मंडल विधान आयोजित
कोटा। चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन मंदिर रिद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में मंदिर में संगीतमय भक्ताम्बर विधान का भव्य आयोजन किया गया। मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा ने बताया कि इस पावन अनुष्ठान में 48 अर्घ्यों के साथ भगवान महावीर की विशेष पूजा-अर्चना की गई।
सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा, जिन्होंने बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ विधान में भाग लिया। आदित्य सागर मुनिराज,अप्रमित सागर और मुनि सहज सागर महाराज के सानिध्य में भक्ताम्बर विधान प्रारंभ हुआ। उन्होने कहा कि यह विधान आत्मशुद्धि और कर्मों के क्षय के लिए किया जाता है। इससे समाज में सद्भावना और एकता का संदेश भी फैलता है। इस अवसर पर धर्मपरिक्षा पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
मंत्री पंकज खटोड़ ने बताया कि सिद्धशिला पर विराजमान सिद्ध परमेष्ठी के अठतालीस गुणों की पूजा अर्घ देकर पूजा सम्पन्न की गई। जिसमें उनके अनन्त दर्शन, ज्ञान अवगाहनत्व, अनंत वीर्यत्व, अव्याधत्व आदि अनंत गुणों से युक्त सिद्धस्वरूप को नमस्कार किया गया। जिसमें कर्मदहन सर्वविघ्न हरण भक्तामर एवम पार्श्वनाथ मंडल विधान मंदिर परिसर में आयोजित किए गए।
इस अवसर पर सकल जैन समाज के संरक्षक राजमल पाटौदी, अध्यक्ष प्रकाश बज, मंत्री पदम बडला, रिद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, टीकम चंद पाटनी, पारस बज, निर्मल अजमेरा, संजय लहुाडिया व पारस लुहाडिया, जिनेंद्र जैन जज, पारस कासलीवाल, राजकुमार पाटनी, एन के जैन पूर्व न्याायाधीश, मनीष सेठी, जीतू लुहाड़िया, स्वतंत्र पाटनी सहित कई शहरो के श्रावक मौजूद रहे।
व्यर्थ की चिंता का करें त्याग
आदित्य सागर महाराज ने चिंता को चिता के समान बताते हुए कहा कि हमें अपने जीवन का अधिकांश समय अपने ऊपर गुजारना चाहिए। जबकि हम अपना समय दुसरों को देते हैं।जीवन में खुद की प्रधानता होनी चाहिए। मनुष्य बहिरंग चिंताओ में समय व्यर्थ कर रहा है। बाहर की चिंता आपकी चिता की तैयारी कर रही है। खुद को खोकर पढाई व व्यापार करना समझदारों का काम नहीं है। विधाता ने जो लिखा है वह होकर रहता है। जिस चीज के पीछे हम भागते हैं, वह चीज आपसे उतना ही आगे भागती है।

