नई दिल्ली। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कहा कि उद्योग और वाणिज्य वर्ष 2047 तक भारत को एक पूरी तरह से विकसित राष्ट्र में बदलने के लिए भारतीय नेतृत्व की दृढ़ प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इस राष्ट्रीय आकांक्षा को साकार करने के लिए, श्री बिरला ने सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे विकास के एक ऐसे मॉडल को अपनाएं जो न केवल स्थायी और टिकाऊ हो, बल्कि समावेशी भी हो, जो अनुसंधान, नवाचार और भविष्य उन्मुख सोच वाले उद्यम की भावना में दृढ़ता से आधारित हो।
आज नई दिल्ली में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की 120वीं वर्षगांठ के अवसर पर उपस्थित विशिष्टजन को संबोधित करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि भारत सरकार की ‘विकास-उन्मुख नीतियां’ आज हमारे उद्योगों को नई ऊर्जा प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग भारत में आर्थिक सशक्तिकरण और नवाचार का युग है।
‘विकसित भारत 2047’ के रोडमैप को रेखांकित करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि देश की व्यापार नीति आज आत्मनिर्भर भारत का प्रमुख अंग है और वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, गति शक्ति, भारतमाला परियोजना, उड़ान योजना और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्लस्टर के विकास जैसे प्रमुख कार्यक्रम देश भर में औद्योगिक और वाणिज्यिक बुनियादी ढांचे की एक मजबूत गाथा प्रस्तुत कर रहे है।
श्री बिरला ने आगे कहा कि औद्योगिक नीतियों को सरल बनाने, पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल कर व्यवस्था की स्थापना और एकल-विंडो मंजूरी प्रणाली को अपनाने से देश में उद्यमिता की भावना को काफी पोषित और सशक्त किया गया है।
श्री बिरला ने जोर देकर कहा कि समकालीन भारत वैश्विक निवेशकों के लिए एक प्रकाशस्तंभ के रूप में उभरा है – एक ऐसा देश जहां व्यवसाय करने में आसानी केवल एक आकांक्षा नहीं है, बल्कि एक वास्तविकता है। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि भारत का उल्लेखनीय आर्थिक पुनरुत्थान विकासशील दुनिया के लिए आशा और प्रेरणा का स्रोत है, जो राष्ट्र की समावेशी विकास और समृद्धि की ओर अटूट मार्च को प्रदर्शित करता है।
श्री बिरला ने कहा कि राष्ट्र तेजी से नवाचार के एक जीवंत केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने भारतीय उद्यमों के परिवर्तनकारी योगदान की प्रशंसा की – विशेष रूप से स्टार्ट-अप के गतिशील इकोसिस्टम – जो अपनी विकास उन्मुख दृष्टिकोण और जमीनी विचारों के साथ सतत विकास के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं और भारत को एक वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर बढ़ा रहे हैं।
श्री बिरला ने भारत में एक नए आर्थिक युग की शुरुआत का उल्लेख करते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों से देश ने विकास के नए आयाम हासिल किए हैं। उन्होंने कहा कि इससे भारत में पारदर्शिता और दक्षता की संस्कृति को भी बढ़ावा मिल रहा है।
राष्ट्रव्यापी डिजिटल क्रांति की चर्चा करते हुए, श्री बिरला ने वाणिज्यिक परिदृश्य में डिजिटल लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने देखा कि यह डिजिटल व्यवस्था एक अभूतपूर्व आर्थिक समावेशन के युग की शुरुआत कर रही है, जो दूरदराज के क्षेत्रों और भारत की मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था के बीच की खाई को पाट रही है, जिससे देश के सबसे दूरस्थ कोनों को भी प्रगति और समृद्धि से ओतप्रोत किया जा रहा है।
श्री बिरला ने कहा कि पीएचडीसीसीआई उद्योगों और नीति निर्माताओं के बीच एक सशक्त सेतु के रूप में काम कर रहा है। श्री बिरला ने महिला उद्यमिता विकास कार्यक्रम और नेटवर्किंग एवं मेंटरिंग प्लेटफॉर्म जैसी दूरदर्शी पहलों के माध्यम से भारतीय महिलाओं को बढ़ावा देने और उनके सशक्तीकरण में पीएचडीसीसीआई के सराहनीय प्रयासों की सराहना की और कहा कि इन पहलों ने नारी शक्ति की अपार क्षमता को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे महिलाएं की भागीदारी सशक्त रूप से सामने आ रही है ।

