कोच्चि। Small cardamom crop: छोटी (हरी) इलायची के सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- केरल के महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन वर्षा का दौर जारी रहने से इस सुगन्धित मसाला फसल को काफी फायदा हो रहा है जिससे इसके उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद की जा रही है।
पिछले साल वर्षा का अभाव होने तथा मौसम शुष्क एवं गर्म रहने से न केवल उत्पादन में गिरावट आई बल्कि फसल की तुड़ाई-तैयारी में भी देर हो गई। इसके विपरीत चालू वर्ष के दौरान वहां प्रमुख बागानी क्षेत्रों में चार बार बारिश हो चुकी है।
केरल में इडुक्की जिला छोटी इलायची के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। वहां वंदनमेडु, कुमिली एवं संथनपारा जैसे क्षेत्रों में नियमित रूप से अच्छी बारिश होने तथा उत्पादकों द्वारा सही समय पर उर्वरकों का इस्तेमाल किए जाने से फसल की शानदार प्रगति हो रही है।
उत्पादकों एवं विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बागानों में बारिश की एक-दो बौछार और पड़ जाए तो न केवल इलायची के उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी हो सकती है बल्कि दाने की क्वालिटी में भी काफी सुधार आ सकता है।
उम्मीद की जा रही है कि अनुकूल मौसम का सहारा मिलने से इस बार मध्य जुलाई से इलायची के दाने की तुड़ाई-तैयारी जोर पकड़ लेगी जबकि इसकी छिटपुट आवक उससे पहले ही शुरू हो सकती है। इडुक्की जिले के ऊपरी क्षेत्र में मौसम अनुकूल बना हुआ है।
पिछले साल फरवरी से मई तक बागानी इलाकों में सूखा पड़ने से इलायची की फसल को भारी नुकसान हो गया था। तमिलनाडु में भी फसल की हालत अच्छी नहीं रही थी। बागानों में इलायची के जो नए सैपलिंग लगाए गए है वे इस बार परिपक्व नहीं हो पाएंगे लेकिन अच्छी बारिश एवं उर्वरकों के इस्तेमाल से उसकी हालत बेहतर अवश्य हो जाएगी। इसके फलस्वरूप मौसम अनुकूल रहने पर अगले साल छोटी इलायची के घरेलू उत्पादन में और इजाफा हो सकता है।

