जोधपुर/कोटा। आप ट्रेन में हैं और गाड़ी गंतव्य स्टेशन पर तय समय से एक घंटे बाद पंहुचनी है। आप उस वक्त हैरान रह जाते हैं, जब रेलवे के सिस्टम में ट्रेन सही समय पर गंतव्य तक पंहुचना बताती है। ऐसी हजारों शिकायतें रेलवे के ट्विटर हैंडलर पर दर्ज हो रही हैं।
आंकड़ों में अभी देश में 75 फीसदी ट्रेनों को समय पर चलना बताया जा रहा है, जबकि हकीकत उलट है। रेलवे खामी को सुधारने के लिए सिस्टम में सुधार कर रहा है। अब रेलवे अपने सिस्टम को ट्रेन के रवाना होने और आगमन पर दिए जाने वाले सिग्नल से जोड़ने जा रहा है, ताकि यात्रियों को ट्रेन की वास्तविक लोकेशन का पता चल सके।
इसके आधार पर ही अब जोन की समय पालन रिपोर्ट बनेगी, जिसमें प्रतिशत की जगह अब 4 ग्रेड से रैंकिंग दी जाएगी। यह नया सिस्टम 1 जनवरी से लागू होगा। रेलवे के निदेशालय ने परिपत्र जारी कर सभी 16 जोन के महाप्रबंधकों को इस बारे में निर्देश जारी कर दिए हैं।
रेलवे बोर्ड में एफिशिएंसी एंड रिसर्च के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर विकास आर्य ने बताया कि परिचालन समय पर उससे जुड़े अधिकारियों को जवाबदेह बनाने के लिए अब सभी जोन में ट्रेनों के समय पालन की परफॉर्मेंस प्रतिशत की जगह ग्रेड से तय होगी। 85% समय पालन वाले जोन को ए-प्लस, 75 से 85 पर ए, 60 से 75 पर बी और 60% या उससे कम पर सी ग्रेड दिया जाए।
सिग्नल टाइम ऑटोमेटिक दर्ज होगा
स्टेशन मास्टर ट्रेन को रवाना करने या प्लेटफार्म पर लेने के लिए जब सिग्नल देगा, तो उसका टाइम डाटा लॉगर में दर्ज होता है। नए सिस्टम के तहत इस डाटा लॉगर को कंट्रोलर के सिस्टम से ऑटोमेटिक मोड पर जोड़ा जाएगा। ऐसे में कंट्रोलर मैनुअली गलत टाइम नहीं डाल सकेगा और यात्रियों या उनके परिजन को ट्रेन की वास्तविक स्थिति और समय का पता लग सकेगा।
अभी मैनुअली डाटा फीड होता है
अभी प्रत्येक मंडल में कंट्रोलर मैनुअली डाटा फीड करते हैं। यही समय यात्रियों को नेशनल ट्रेन इन्क्वायरी सिस्टम (एनटीईएस) से बताया जाता है। अक्सर देखा गया है कि अपनी रैंक सुधारने के लिए कंट्रोलर एनटीईएस में गलत समय दर्ज करते हैं। इससे यात्री या उन्हें रिसीव करने वाले या छोड़ने स्टेशन आने वाले को सही ट्रेन के समय की सही जानकारी नहीं मिल पाती है।