झूठ ना बोलना वाणी तप है, दूसरों के काम आना काया तप: पंडित उदय शास्त्री

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विश्व शांति महायज्ञ के विधान के साथ अष्टानिका पर्व का भव्य समापन

कोटा। विज्ञान नगर में आयोजित अष्टानिका पर्व के समापन पर विश्व शांति महायज्ञ का विधान संपन्न हुआ। इस अवसर पर प्रतिष्ठाचार्य पंडित उदय शास्त्री ने अपने प्रवचन में जीवन के महत्वपूर्ण तपों का महत्व समझाया।

उन्होंने कहा, झूठ ना बोलना वाणी तप है, दूसरों के काम आना काया तप है, अन्य की वस्तु प्राप्त होने पर उसे लौटा देना मन का तप है, गलती होने पर क्षमा मांग लेना प्रायश्चित तप है और आती-जाती सांसों पर केंद्रित होना ध्यान तप है।”

महामंत्री अनिल ठौरा ने बताया कि विधान समाप्ति पर 24 कुंडीय हवन का आयोजन किया गया, जिसमें सौधम ईर्द त्रिलोक रेखा लुहाड़िया के साथ पी.के. हरसोरा, रितेश सैठी, अरविंद ठौरा, पारस जैन, सी.ए. इंद्र कुमार जैन, महावीर अजमेरा, सीताराम जैन, मुकेश खटोड़, सुनील कासलीवाल आदि ने हवन में आहुतियां दीं।

अध्यक्ष राजमल पाटौदी ने इस अवसर पर त्रिलोक रेखा लुहाड़िया, संगीतकार अनीशा जैन और पंडित उदय शास्त्री का आभार व्यक्त किया। प्रमिला पांडे, बाबूलाल जैन, मंजू जैन, अनिल ठौरा और जया पटौदी ने विधान पुनर्याजक परिवार का स्वागत-सत्कार किया।

समारोह में त्रिलोक लुहाड़िया द्वारा विधान में सहयोग देने वाले सभी महानुभावों का यथायोग्य सम्मान किया गया। विधान के अंत में विज्ञान नगर मंदिर से भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा के साथ सभी इंद्राणियों की एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई।

पी.के. हरसोरा ने बताया कि विज्ञान नगर में प्रतिवर्ष अष्टानिका पर्व के अवसर पर सिद्ध चक्रमंडल विधान का आयोजन करके धर्म प्रभावना की परंपरा निभाई जाती रही है।