कोटा। क्रोध एक भावना है, जिसे गुस्सा, रोष, आक्रोश, प्रकोप भी कहा जाता है। यह एक सामान्य भावना है, लेकिन अगर इसे नियंत्रित न किया जाए, तो यह नुकसानदेह साबित हो सकता है। यह जानकारी क्रोध प्रबंधन विषय पर आयोजित कार्यशाला में मनोचिकित्सक नीना विजयवर्गीय दी।
उन्होंने बताया कि यह भावना नियंत्रण से बाहर होने पर किसी को दूसरे लोगों को चोट पहुँचाने, चिल्लाने आदि के लिए प्रेरित करती है। गुस्से के कारणों में आनुवांशिकी, अनियमित मस्तिष्क विकास, मस्तिष्क में हार्मोनल असंतुलन, नशा, दवाओं का दुष्प्रभाव, जीवन का तनाव आदि शामिल हैं। गुस्से के कारण घरेलू हिंसा हो सकती है, जो लोग गुस्सैल व्यक्ति के आस-पास होते हैं वे उस व्यक्ति को नाराज़ न करने के लिए खुद को शांत/चुप कर लेते हैं। दूसरों की भावनाओं को चोट पहुंचती है।
अपने गुस्से से निपटने में असफल होने से तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं, दुर्घटनाएं, हिंसा आदि हो सकते हैं। गुस्से और आक्रामक व्यवहार के लिए प्राथमिक उपचार सीबीटी काउंसलिंग है, जो व्यक्तियों को गुस्से से जुड़े अनुपयोगी विचारों और व्यवहारों को पहचानने और बदलने में मदद करती है। यदि गुस्सा दैनिक जीवन, रिश्तों या काम को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है, तो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने बताया कि गुस्से के कारण के आधार पर, थेरेपी के साथ-साथ मूड स्टेबलाइज़र जैसी दवाएँ निर्धारित की जा सकती हैं। गुस्से के प्रबंधन का अर्थ है अपने गुस्से को समझना और यह समझना कि ऐसा क्यों होता है। यह गुस्से को व्यक्त करने के बेहतर तरीकों को सीखने और अभ्यास करने के बारे में है।
यह जानने के बारे में है कि इसे होने से कैसे रोका जाए। विशेष रूप से, गुस्से के प्रबंधन का अर्थ है गुस्से के ट्रिगर और शुरुआती चेतावनी संकेतों को जानना और नियंत्रण से बाहर होने से पहले स्थिति को शांत करने और मैनेज करने की तकनीक सीखना।
इसमें सभी प्रकार के गुस्से से छुटकारा पाना शामिल नहीं है, बल्कि अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए गुस्से का सही उपयोग करना शामिल है। कार्यशाला में विशेषज्ञों द्वारा जीवन को तनाव रहित बनाने पर भी जानकारी दी।

