कोटा। तलवंडी दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज ने मंगलवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जो मन के हिसाब से चलता है, वह संसारी होता है, और जिसके हिसाब से मन चलता है, वह संन्यासी बनता है।
उन्होंने अपने उद्बोधन में जीवन को कल्याणकारी और मोक्ष मार्ग पर अग्रसर करने के लिए मन को वश में रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। आचार्य श्री ने कहा, यदि हम मन के अनुसार चलेंगे, तो यह हमें संसार के मोहजाल में भटका देगा। लेकिन जब मन हमारे नियंत्रण में होगा, तभी हमारा आत्मिक कल्याण संभव है।
मन के नियंत्रण का महत्व
गुरुदेव ने उदाहरण देते हुए कहा, जैसे एक नए मकान के पूजन के बाद उसे खाली छोड़ देने पर उसमें भवनवासी देवताओं का वास हो सकता है, वैसे ही हमें अपने मन को भी पूज्य बनाना चाहिए ताकि उसमें भगवान का वास हो सके। इसके लिए मन को सांसारिक मोह-माया से दूर रखना होगा।
भक्तामर महाअर्चना का आयोजन
गुरुदेव ने बताया कि 18 जनवरी को शाम 6:00 बजे धर्मशाला प्रांगण में सर्व सिद्धि प्रदायक भक्तामर महाअर्चना अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा। इस अनुष्ठान में रिद्धि-सिद्धि मंत्रों के साथ 2688 दीप प्रज्वलित किए जाएंगे। मंदिर समिति के महामंत्री प्रकाश जैन ने बताया कि जो समाजजन इस अनुष्ठान में भाग लेना चाहते हैं, वे अपना नाम मंदिर समिति में पंजीकृत करवा सकते हैं, ताकि व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
समाजजनों का सम्मान
धर्मसभा में श्री जी के चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन और जिनवाणी विराजमान करने का सौभाग्य सृष्टि प्रकाश, उपेंद्र, सुनील, मनोज जैन (मालूजीवाला परिवार) को प्राप्त हुआ। मंदिर समिति ने परिवार का सम्मान किया।
आहार दान का सौभाग्य
राजकुमार जैन ने जानकारी दी कि आचार्य श्री को आहार देने का सौभाग्य सेठी परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर मंदिर समिति के संरक्षक जे.के. जैन, प्रकाश ठोरा, यतीश खेड़ा, लोकेश सीसवाली समेत कई श्रद्धालु उपस्थित रहे।