गेमिंग सेक्टर को सुप्रीम कोर्ट से राहत, 1.12 लाख करोड़ के GST नोटिस पर लगाई रोक

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नई दिल्ली। ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए 1.12 लाख करोड़ रुपये के गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) शो-कॉज नोटिस पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि इन नोटिस से जुड़े सभी मामले फिलहाल स्थगित रहेंगे जब तक इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता।

सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों से जुड़े मामलों को एक साथ जोड़ने का निर्देश दिया है। अब इन मामलों की अगली सुनवाई 18 मार्च, 2025 को होगी। यह फैसला ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि इस पर कर अधिकारियों और कंपनियों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था।

इस विवाद का मुख्य मुद्दा ऑनलाइन गेमिंग पर GST लागू करने की व्याख्या है। सरकार का कहना है कि 28 प्रतिशत GST पूरे एंट्री अमाउंट पर लगना चाहिए, जिसमें इनाम राशि (प्राइज पूल) भी शामिल होती है। वहीं, गेमिंग कंपनियों का तर्क है कि GST केवल उनके प्लेटफॉर्म फीस या कमीशन पर लगना चाहिए, क्योंकि इनमें से कई गेम कौशल (स्किल) पर आधारित होते हैं, न कि किस्मत (चांस) पर।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ऑनलाइन गेमिंग और कैसिनो उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कोर्ट ने डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) द्वारा जारी किए गए शो-कॉज नोटिस पर कार्रवाई को रोक दिया है। इस फैसले ने उद्योग को राहत दी है और यह भविष्य में क्षेत्र के लिए नियामकीय स्पष्टता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
नियामकीय परिदृश्य के लिए अहम मार्च की सुनवाई

EY के टैक्स पार्टनर, सौरभ अग्रवाल ने कहा, “मार्च में होने वाली अंतिम सुनवाई इस सेक्टर के लिए नियामकीय ढांचे को तय करने और एक निष्पक्ष और पारदर्शी टैक्स रिजीम सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगी।”उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा शो-कॉज नोटिस पर रोक लगाना ऑनलाइन गेमिंग और कैसिनो उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल कानूनी स्पष्टता मिलती है, बल्कि तेजी से बढ़ते इस सेक्टर में सही प्रक्रिया और नियमों के महत्व को भी उजागर किया गया है।

गेमिंग कंपनियों ने दी सकारात्मक प्रतिक्रिया
इस फैसले का ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने स्वागत किया है। रस्तोगी चैंबर्स के संस्थापक और गेमिंग कंपनियों के कोर्ट में प्रतिनिधि, अभिषेक ए रस्तोगी ने कहा, “यह रोक गेमिंग कंपनियों पर टैक्स अधिकारियों की संभावित कार्रवाई के दबाव को कम करती है। साथ ही, यह राजस्व अधिकारियों के हितों की भी रक्षा करती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि इस मामले में मांगे समय सीमा से बाहर न हो जाएं, जिससे कानूनी प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के जारी रह सके।” अब सभी की नजरें मार्च में होने वाली अंतिम सुनवाई पर हैं, जो इस तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र के लिए नियामकीय दिशा को स्पष्ट कर सकती है।