ज्योति मंदिर दादाबाड़ी के स्थापना दिवस पर लखबीर सिंह लक्खा बहाएंगे भजनों की सरिता

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कोटा। वैष्णो देवी ज्योति मंदिर दादाबाड़ी में माता के विग्रह के 42वें स्थापना दिवस पर 18 दिसम्बर को माता की चौकी सजाई जाएगी। आयोजक सनमीत सिंह बंटी ने शनिवार को पत्रकारों को बताया कि 18 दिसम्बर को रात्रि 8 बजे से भजन सम्राट लखबीर सिंह लक्खा के द्वारा भजनों की सरिता बहाई जाएगी।

इस दौरान कोटा नागरिक सहकारी बैंक के चेयरमैन राजेश बिरला तथा विधायक संदीप शर्मा अतिथि के तौर पर मौजूद रहेंगे। इस अवसर पर पोस्टर का विमोचन भी किया गया। लखबीर सिंह लक्खा माता के भजनों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हनुमान जी, शिवशंकर और श्रीकृष्ण भक्ति के भजन भी बहुतायत में गाए हैं।

अभी हाल ही में लखबीर सिंह लक्खा का गया हुआ गीत “राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना.. राम जी से राम राम कहियो, कहियो जी हनुमान जी..” काफी लोकप्रिय हुआ है। वहीं माता रानी के “प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी.. मैया का चोला है रंगला.. मेरी अंखियों के सामने ही रहना.. तेरे द्वार पर खुशी मिलती है..” सरीखे भजन भी काफी लोकप्रिय रहे हैं।

उन्होंने फिल्म मां पूर्णागिरि में अभिनय भी किया है। भजनों के अलावा लक्खा के द्वारा बॉलीवुड फिल्मों में भी पार्श्व गायन किया गया है। उनके द्वारा अनुराधा पौडवाल के साथ गाया गीत “बालों के नीचे चोटी..” बहुत लोकप्रिय हुआ था।

विमोचन के अवसर पर जसबीर सिंह, सुधींद्र गौड़, आशीष शर्मा, सुखलाल मीना, मनजीत सिंह, मनमीत सिंह, मनोज पालीवाल, सतीश छाबड़ा, सुनील शर्मा, आकाश सुमन, राहुल सिक्का, अनुज पटेल मौजूद रहे।

माता का होगा विशेष श्रृंगार
उन्होंने बताया कि स्थापना दिवस पर मंदिर की विशेष सज्जा के साथ ही प्रतिमा का भी विशेष श्रृंगार किया जाएगा। माता का दरबार सजाने जगत माता मंदिर की ओर से सजाया जाएगा। वहीं माता की प्रतिमा का श्रृंगार हरप्रीत कौर, प्रभरानी कौर और आशीष शर्मा के द्वारा किया जाएगा। इस दौरान छोले, हलवे और लड्डू का प्रसाद भी वितरित किया जाएगा। भगवान को छप्पन भोग सजेगा। जोड़ा घर की सेवा शिरडी साईं सेवा समिति की ओर से की जाएगी।

दिल्ली से भी आते हैं माता के भक्त
सनमीत सिंह बंटी ने बताया कि मंदिर की स्थापना 18 दिसम्बर 1982 को स्व. जगजीत सिंह भोला के द्वारा स्व. पुत्री ज्योति की याद में की गई थी। प्रारंभ में मंदिर का स्वरूप घरेलु ही था, लेकिन माता के चमत्कारों और श्रद्धालुओं की बढती भीड़ के कारण से भक्तों और परिवारजनों ने मिलकर मंदिर का भव्य स्वरूप दिया। कोटा में जागरण संस्कृति की शुरूआत भी स्व. भोला के द्वारा ही मानी जाती है। माना जाता है कि ज्योति मंदिर में स्थित माता वैष्णो देवी की मूर्ति के दर्शनों से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर में दर्शन करने के लिए दिल्ली से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।