रायपुर। Rice Export: शानदार घरेलू उत्पादन, प्रतिस्पर्धी मूल्य एवं आयातक देशों की मजबूत मांग को देखते हुए भारत से चालू वित्त वर्ष के दौरान चावल के निर्यात में भारी वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि अब बासमती तथा गैर बासमती सेला चावल के साथ-साथ सफेद (कच्चे) चावल का निर्यात भी पूरी तरह खुल गया है।
किसी भी चावल के निर्यात पर न तो कोई प्रतिबंध और न ही सीमा शुल्क लगा हुआ है। बासमती चावल तथा सफेद चावल के लिए लगाए गए क्रमश: 950 डॉलर प्रति टन एवं 490 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) को भी समाप्त कर दिया गया है। अब केवल 100 प्रतिशत टूटे चावल के ही व्यापारिक निर्यात पर पाबंदी लगी हुई है।
भारत से वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान चावल का निर्यात घट गया था क्योंकि जुलाई 2023 में गैर बासमती सफेद चावल के शिपमेंट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और फिर अगस्त में सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया था।
इसके अलावा बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का मेप भी लागू किया गया था। अब इन सभी नियंत्रणों को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है जिससे चावल का कुल निर्यात बढ़कर एक बार फिर 200 लाख टन की सीमा को पार कर जाने की संभावना है। चावल का निर्यात प्रदर्शन बेहतर होने लगा है।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार चावल के वैश्विक निर्यात में भारत की भागीदारी 2022-23 के 41 प्रतिशत से घटकर 2023-24 में 33 प्रतिशत रह गई। हालांकि चावल के निर्यात को सितम्बर-अक्टूबर 2024 में स्वतंत्र किया गया है लेकिन फिर भी इसकी हिस्सेदारी 2024-25 के वित्त वर्ष में बढ़कर 40 प्रतिशत के आसपास पहुंच जाने की उम्मीद है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत के धमाकेदार प्रवेश के साथ ही सफेद चावल की कीमतों में नरमी का दौर शुरू हो गया। भारत का चावल अब भी आयातकों के लिए काफी आकर्षक बना हुआ है।
सेला चावल पर लगे सीमा शुल्क को हटाए जाने बाद इसका भाव पुनः प्रतिस्पर्धी स्तर पर आ गया है जबकि बासमती चावल के निर्यात में पिछले वित्त वर्ष की भांति इस बार भी अच्छी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। यदि देर-सवेर सरकार ने 100 प्रतिशत टूटे चावल का निर्यात खोलने का निर्णय लिया तो भारत से चावल का कुल निर्यात काफी तेजी से बढ़ जाएगा।