नई दिल्ली। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने मक्का का घरेलू उत्पादन पिछले साल के 222.45 लाख टन से करीब 23 लाख टन उछलकर वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन में 245.41 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार खरीफ सीजन में मक्का का कुल बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 84.65 लाख हेक्टेयर से 3.41 लाख हेक्टेयर बढ़कर इस बार 88.06 लाख हेक्टेयर की ऊंचाई पर पहुंच गया जबकि फसल की औसत उपज दर 2.67 टन प्रति हेक्टेयर से सुधरकर 2.92 टन प्रति हेक्टेयर पर पहुंच जाने की उम्मीद है।
मक्का की खेती के प्रति किसानों का उत्साह एवं आकर्षण चालू रबी सीजन में भी बढ़ने के आसार हैं। सरकार ने इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 2225 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जबकि इसका खुला बाजार (थोक मंडी) भाव इससे ऊपर चल रहा है। इससे उत्पादकों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हो रही है। वस्तुत: मक्का अब एक विजेता कृषि उत्पाद के रूप में तेजी से उभर रहा है जबकि तीन-चार वर्ष पूर्व तक इसके उत्पादक खून के आंसू रो रहे थे।
दरअसल अनाज आधारित एथनॉल डिस्टीलरीज में मक्का की मांग एवं खपत इतनी तेजी से बढ़ रही है कि न केवल निर्यातकों को स्टॉक मिलना मुश्किल हो गया है बल्कि अन्य तमाम उपयोग कर्ता उद्योग को भी उचित मूल्य पर पर्याप्त स्टॉक हासिल करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है।
अच्छी वापसी से उत्साहित किसान अब मक्का की बेहतर क्वालिटी के हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक उत्पादन हासिल हो सके। कीड़ों के प्रकोप से फसल को बचने की कोशिश भी हो रही है।