मृत्यु को मित्र मानने वाले जीवन को सार्थक बनाते हैं: आदित्य सागर मुनिराज

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कोटा। जैन मंदिर ऋद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में श्रमण श्रुतसंवेगी आदित्य सागर मुनिराज संघ ने भव्य चातुर्मास के अवसर पर बुधवार को कहा कि मृत्यु को महोत्सव के रूप में स्वीकार करें। इसे जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिए। मृत्यु को समझकर हम अपने जीवन को और अधिक सार्थक बना सकते हैं। मृत्यु का स्वागत करने से भय का नाश होता है। मृत्यु को मित्र मानने वाले जीवन को सार्थक बनाते हैं और वे जो इससे घबराते हैं समाधि का अनुभव नहीं कर पाते।

उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि जब जीवन का अंतिम समय आता है तो वही व्यक्ति जो जीवन भर साधना करता है उसे समाधि की शांति प्राप्त होती है। गुरूदेव ने बताया कि जैन धर्म मृत्यु को एक महोत्सव मानता है और जो व्यक्ति मृत्यु को स्वाभाविक मानकर जीवन की यात्रा को सहजता से अपनाता है, उसके लिए मृत्यु बार-बार नहीं आती। उन्होंने कहा कि जैसे जन्म पर लोग खुश होते हैं, वैसे ही मृत्यु भी एक अवसर है, जहां व्यक्ति संसार के बंधनों से मुक्त हो सकता है।

अंतराष्ट्रीय परिचय सम्मेलन पोस्टर विमोचन
चातुर्मास के अध्यक्ष टीकम पाटनी व मंत्री पारस बज आदित्य ने बताया कि बुधवार को अंतराष्ट्रीय परिचय सम्मेलन का पोस्टर-बैनर विमोचन आदित्य सागर मुनिराज के सानिध्य में किया गया। इस परिचय सम्मेलन में देश विदेश के जैन समाज के विवाह योग्य युवक-युवतियों शामिल होगी। सूत्रधार जेके जैन ने बताया कि सम्मेलन 15 दिसंबर को इंदौर में आयोजित किया जाएगा।

कनायक चंद्रप्रभु स्वर्णरजतमयी वेदिका पर विराजित


रिद्धि सिद्धि नगर जैन मंदिर के मूलनायक आठवें तीर्थंकर भगवान चन्द्रप्रभु प्राचीन मार्बल वेदिका के ऊपर लगभग सवा क्विंटल वज़नी स्वर्ण रजत जड़े पत्रे एवं नवीन कमलासन पर विराजित हुए। मंदिर अध्यक्ष राजेंद्र गोधा ने बताया कि समाज की काफ़ी समय से अभिलाषा रही कि मूल नायक भगवान चंद्रप्रभु रजत वेदिका पर विराजें। सभी सदस्यों ने वर्षायोग कर रहे मुनिसंघ से निवेदन किया और मात्र एक सप्ताह में सारी भूमिका तय होने पश्चात बुधवार को पुनः मूकनायक भगवान मंत्रोचार के साथ ही वास्तु विज्ञान अनुसार शुभमहूर्त में सैकड़ों श्रद्धालुओं के जयकारों के बीच रजत-स्वर्ण वेदिका पर विराजित हुए। इस अवसर पर पूज्य मुनि आदित्य सागर,अप्रमित सागर एवं मुनि सहज सागर का सानिध्य प्राप्त हुआ।

इस अवसर पर सकल दिगम्बर जैन समाज के सरंक्षक राजमल पाटोदी, कार्याध्यक्ष जेके जैन, मनोज जैसवाल, राजकुमार लु​हाडिया, पीयूष बज, अशोक पहाडिया, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज आदित्य, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, ऋद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, अशोक पापड़ीवाल सहित कई शहरों के श्रावक उपस्थित रहे।