चंबल को प्रदूषित करने के मामले में कोटा के 3 उद्योगों को एनजीटी ने दिये नोटिस

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पर्यावरणविद् जाजू की जनहित याचिका पर उद्योगों को बनाया पक्षकार

कोटा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल सेन्ट्रल जोनल बैच भोपाल ने चम्बल नदी को प्रदूषित करने के मामले में कोटा के तीन उद्योगों को एनजीटी ने नोटिस जारी कर 9 जनवरी 2025 तक जवाब मांगा हैं।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल सेन्ट्रल जोनल बैच भोपाल के न्यायाधिपति शिवकुमार सिंह न्यायिक सदस्य एवं डॉ. ए. सेंथिल विशेषज्ञ सदस्य की बैच ने पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू की अधिवक्ता दीक्षा चतुर्वेदी के मार्फत दायर जनहित याचिका स. 189/2023 पर सुनवाई करते हुए जाजू के निवेदन पर कोटा के 3 उद्योगों को प्रदूषण फैलने में आवश्यक पक्षकार मानते हुए विपक्षी पक्षकार कायम कर नोटिस जारी कर 9 जनवरी 2025 तक जवाब मांगा है।

एनजीटी ने मैसर्स डीसीएम श्रीरामनगर कोटा, मैसर्स श्रीराम रेयॉन्स श्रीराम नगर कोटा एवं मैसर्स कोटा सुपर थर्मल पावर स्टेशन सकतपुरा कोटा को विपक्षी पक्षकार कायम करने पर स्वीकृति प्रदान की है।

याचिकाकर्ता जाजू ने याचिका में बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेन्ट्रल जोनल बैच, भोपाल में निर्णित हो चुकी याचिका संख्या 318/2014 बाबूलाल जाजू बनाम राजस्थान राज्य व अन्य में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल बैंच ने गंदे नालों को देश की एकमात्र घड़ियाल सेंचुरी चम्बल में जाने से रोककर नालों के पानी को एसटीपी प्लांट लगाकर पानी को साफ करके ही चम्बल में छोड़े जाने के निर्देश दिये थे।

इस पर कोटा प्रशासन, स्थानीय निकायों और प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा एकमात्र एसटीपी प्लांट लगाया गया है, जो पूरी तरह से कार्य नहीं कर रहा है। सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद लगभग 15 प्रतिशत पानी का शोधन ही हो रहा है। बाकी दूषित पानी सीधे नदी में जा रहा है, जिससे सड़ांध आ रही है।

10 वर्ष पूर्व दायर याचिका में पारित आदेशों की पालना कोटा प्रशासन नहीं कर पाया है जिसके चलते नदी में शहर के सैकड़ों छोटे -बड़े मलमूत्र वाले नाले चम्बल नदी में जा रहे हैं। वहीं कुछ औद्योगिक इकाईयों द्वारा गर्म व प्रदूषित पानी चोरी छिपे सीधे चम्बल में छोड़ा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पूर्व जाजू द्वारा चंबल नदी का अवलोकन भी किया गया था।