नई दिल्ली। Non Basmati Rice Export: केंद्र सरकार ने बुधवार को गैर-बासमती सफेद चावल के विदेशी निर्यात पर लागू 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) हटा दिया। यह कदम इस जिंस के निर्यात को बढ़ावा देने के मकसद से उठाया गया है।
इससे पहले 28 सितंबर को सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के विदेशी निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाकर निर्यात के लिए न्यूनतम मूल्य (एमईपी) लागू कर दिया था। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, “गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात के लिए एमईपी की आवश्यकता को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है।”
सरकार ने 20 जुलाई 2023 को गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, अब इस पर किसी भी तरह की पाबंदी हटा दी गई है। ये कदम ऐसे समय में उठाए गए हैं जब देश में सरकारी गोदामों में चावल का पर्याप्त भंडार है और खुदरा कीमतें भी नियंत्रण में हैं।
इससे पहले, सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को समाप्त कर दिया था। देश ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान 201 मिलियन अमरीकी डॉलर का गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात किया। 2023-24 में यह आंकड़ा 852.52 मिलियन अमरीकी डॉलर था।
मित्र देशों को चावल निर्यात की थी अनुमति
निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद सरकार मालदीव, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात और अफ्रीकी देशों को मित्रता के आधार पर चावल निर्यात की अनुमति दे रही थी। चावल की यह किस्म भारत में व्यापक रूप से खाई जाती है और वैश्विक बाजारों में भी इसकी मांग है, विशेष रूप से उन देशों में जहां बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी रहते हैं। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने पूरी दुनिया में खाद्यान्न आपूर्ति शृंखला को बाधित किया है।