सारे मोदी के विरोधियों में मेल हो गया, मम्मी का पप्पू हरियाणा में भी फेल हो गया

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देर रात तक चला काव्यपाठ, तालियों से गूंजता रहा मेला परिसर

कोटा। चंबल के तट पर सप्त कवियों ने सप्त रसों की ऐसी रसधार बहाई कि पूरा हाड़ौती रातभर प्रेम और से लेकर ओज ही नहीं हास्य और व्यंग की वैतरणी में हिलोरें लेते रहे। मौका था 131वें कोटा दशहरा मेले का। जहां विजयश्री रंगमंच पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था।

सप्त ऋषि मंडल की भांति शुक्रवार को काव्य संध्या में सात कवि विभिन्न रसों का अद्भुत समागम लेकर आए। एक ओर जहां हास्य रस ने दर्शकों को हंसा हंसा कर लोट पोट कर दिया। वहीं जब मेला मैदान में वीर रस का आगाज हुआ तो शौर्य के रस से रोम रोम आह्लादित करता रहा। कवियों के तीखे व्यंग ने समाज को आईना दिखाया तो प्रेम की फुहारों ने भी श्रोताओं को खूब भिगोया।

कवि सम्मेलन की शुरुआत एंग्री यंग पोयट के रूप में विख्यात अनामिका अम्बर ने देवी मां के 108 नामों ” ब्रह्म जाया विशाला श्री ब्राह्मी” का भक्तिमय पाठ करके की। वंदना सुन पूरा दशहरा मैदान भक्ति रस में डूब गया।

सके बाद सुदीप भोला के ओजस्वी काव्य पाठ से कवि सम्मेलन में नई ऊर्जा का संचार किया। उनके हास्य और वीर रस के जोड़ ने बेजोड़ समा बांधा। उन्होंने जैसे ही “राहुल की बुद्धि बढ़े, दीदी की ममता। योगी की शक्ति बढ़े, मोदी की क्षमता। कंगना मुंह बंद रख, कर जनसेवा ।।” सुनाया तो पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। उन्होंने फौरी सियासत पर एक के बाद एक लगातार कई तीखे व्यंग बाण छोड़े।

“सारे मोदी के विरोधियों में मेल हो गया, मम्मी का पप्पू हरियाणा में भी फेल हो गया” “केसरिया लगाएला लिपस्टिक, यूपी के हर डिस्ट्रिक्ट योगी टॉप लगेलवा” “बाबा जी को समझा था क्या कच्चा बादाम, साइकिल हुई धड़ाम” ” मोदी बोले केम छै केम छै, राहुल बोले सेम छै सीटें नहीं आती चुनावों में” जैसी रचनाएं सुना खूब गुदगुदाया।

वहीं “पापा की परी रील बनाती हैं” कविता सुना मोबाइल के दुरुपयोग का ऐसा जीवंत रूप प्रस्तुत किया कि हर एक श्रोता दहल उठा। और जब उन्होंने अपनी बहुचर्चित कविता ” वर्दियां” सुनाई तो राष्ट्रभक्ति का समंदर ही उमड़ उठा।

राष्ट्रीय अस्मिता के गायक, वीर रस के कवि हरिओम पंवार के कविता पाठ ने नस नस में वीरता का रंग घोल डाला। भारत माता का प्यार लिए फिरता हूं वाणी में… सुना आग ही बरसा डाली। पांच दशकों से भी ज्यादा समय तक देश दुनिया को पत्नी और चार लाइन क्षणिकाओं से गुदगुदा रहे सुरेन्द्र शर्मा ने पूरे मेला मैदान को ठहाकों से गुंजायमान कर डाला।

अनामिका अम्बर के “राम भक्त ही शासन करेगा दिल्ली के सिंहासन” के एक एक शब्द ने रोंगटे खड़े कर दिए। वहीं अरुण जैमिनी ने हरियाणवी लहजे में हास्य व्यंग की ऐसी रसधार बहाई कि हर कोई आनंद की बयार में बह उठा।

मंच का संचालन कर रहे कवि सम्मेलन की आभा तब और बढ़ गई जब शशिकांत यादव ने माइक संभाला। वीर रस से ओतप्रोत उनकी कविताओं ने राष्ट्र भक्ति का समंदर ही उड़ेल दिया। शहीद होने वालों की हम उतारें आरती… वन्दे मातरम जैसे गीत गाकर सभी श्रोताओं को जोश और जुनून से भर डाला।

बहराइच पर उनकी कविता “अबके कोई भ्रम न पाले भारत मां को बांटेंगे” सुन श्रोताओं के रोंगटे ही खड़े हो गए। कोटा के बेटे जगदीश सोलंकी ने प्रेम और ओज की ऐसी प्रेरक धार बहाई कि पूरा दशहरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

कवि सम्मेलन की शुरुआत मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री मदन दिलवर, ऊर्जा मंत्री हीरा लाल नागर, मेला अध्यक्ष विवेक राजवंशी, मेलाधिकारी जवाहर जैन, अतिरिक्त मेला अधिकारी महेश चंद गोयल, एसपी सिटी अमृता दुहन, एलन के निदेशक ब्रजेश माहेश्वरी, प्रमोद माहेश्वरी, प्रेम भाटिया, पार्षद सोनू धाकड़, योगेन्द्र शर्मा, विजयलक्ष्मी आदि ने दीप प्रज्वलित करके की।