चंडीगढ। भारतीय बासमती धान उत्पादकों को फ़िलहाल वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि धान की कीमतों में भारी गिरावट आ गई है। पिछले साल के मुकाबले बासमती धान के 1500 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक की गिरावट आ चुकी है।
वर्तमान समय में बसंती धान का बाजार भाव घटकर 2200-2600 रुपए प्रति क्विंटल के बीच आ गया है। जबकि पिछले साल यह 3500 से 5000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा था। पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मंडियों में बासमती धान के दाम में आई जोरदार गिरावट से किसानो की चिंता एवं परेशानी बहुत बढ़ गई है।
कुछ किसान तो सड़को पर अपना धान जमा करने का प्लान बना रहे है। ऐसा शायद पहली बार होगा जब किसानो को यह रास्ता अपनाना पड़ेगा ध्यान देने की बात है कि बासमती धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का निर्धारण नहीं होता है इसलिए सरकारी एजेंसियां इसकी खरीद नहीं करती है बासमती धान का भाव मुख्यतः राईस मिलर्स एवं चावल निर्यातकों की मांग खरीद पर निर्बर करता है।
चूंकि बासमती चावल की कीमतों के मोर्चे पर भारत और पाकिस्तान के बीच जबरदस्त टक्कर हो रही है और निर्यातक अपने उत्पादक के दाम को प्रतिस्पर्धी स्तर पर रखकर आयातकों को आकर्षित करने का प्रयास क्र रहे है इसलिए उसकी प्रतिद्व्न्दिता का खामियाजा किसानो को भुगतना पड़ रहा है।
भारत और पाकिस्तान में बासमती चावल के लिए नियत न्यूनतम निर्यात मूल्य (केप) को समाप्त किया जा चुका है इसलिए निर्यातक कोई भी ऑफर मूल्य देने के लिए स्वतंतः हो गए है। जब बासमती चावल का निर्यात ऑफर मूल्य नीचे रखने की विवशता होगी तो निर्यातक ऊंचे दाम पर किसानो से धान खरीदने में स्वाभाविक रूप से दिलचस्पी नहीं दिखाएगे।
बासमती धान का थोक मंडी भाव घटकर 3000 रूपए प्रति क्विंटल से नीचे आने के कारण किसानो को एक एकड़ पर 20 से 30 हजार रूपए तक घटा हो रहा है। पिछले साल बासमती धान का औसत भाव 4000 से 5500 रूपए प्रति क्विंटल के बिच चल रहा था जिससे उत्पादकों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही थी।
चालू वर्ष के दौरान किसानो ने बासमती धान का क्षेत्रफल बढ़ा दिया और मौसम अनुकूल होने से इसका उत्पादन बढ़ने के आसार है। नए धान की जोरदार आवक शुरू होने पर बाजार कुछ और नरम पड़ने की संभावना है। इजराइल-ईरान विवाद से बासमती चावल के दाम पर दबाव पड़ रहा है। बाजार को स्थिर होने में कुछ अतिरिक्त समय लग सकता है।