गुजराती परिधानों में देर रात तक जमा गरबे और डांडिया रास का रंग

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माहेश्वरी नवोदिता मंडल के नवोत्सव का समापन

कोटा। माहेश्वरी समाज कोटा के तत्वावधान में आयोजित माहेश्वरी नवोदिता मंडल का डांडिया नवोत्सव का समापन रविवार को हर्षोल्लास के साथ हुआ। मंडल की अध्यक्ष उत्कर्षा लखोटिया व सचिव वैशाली खुवाल ने बताया कि गुजराती परिधानों में सजे-धजे प्रतिभागियों ने गरबा और डांडिया रास की रंगीन शाम को और भी खास बना दिया।

महिलाओं ने पारंपरिक चनिया-चोली और पुरुषों ने कुर्ता-पायजामा पहनकर पारंपरिक गुजराती नृत्य में हिस्सा लिया। कार्यक्रम का उद्घाटन अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा के पश्चिमांचल के उपसभापति राजेश कृष्ण बिरला ने किया। समापन की मुख्य अतिथि अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा की निर्वतमान अध्यक्ष आशा माहेश्वरी रहीं।

एलन के निदेशक गोविंद माहेश्वरी ने कार्यक्रम में डांडिया खटखटाए और प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाया। मुख्य अतिथि समाज अध्यक्ष बिरला ने कहा कि समाज को एक सूत्र में बांधने के लिए इस प्रकार के आयोजन आवश्यक हैं। आशा माहेश्वरी ने कहा कि आज ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पूरा गुजरात माहेश्वरी प्रांगण में समा चुका है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन 30 वर्षों की सतत प्रक्रिया का हिस्सा है।

विजेताओं को किया पुरस्कृत
कार्यक्रम में महिला ग्रुप में अंजना तोषनीवाल, पुरुषों में सौरभ मूंदड़ा, सीनियर बॉय में अभिमन्यु व हार्दिक लखोटिया और बालिकाओं में खुशी मरचुनिया व सिया चांडक विजेता रहीं। इन विजेताओं को मंत्री बिट्ठलदास मूंदड़ा, महेश अजमेरा, केजी जाखेटिया, रामचरण धूत, ओम गट्टानी, संरक्षिका अंजना शारदा, सुनिता मूंदड़ा, पूजा मालपानी, प्रीति राठी और संगीता मोहता द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन मधु बाहेती और सुमन मरचुनिया ने किया। जज की भूमिका में सोमेश मेहरा, सुविधा शर्मा और विपिन सोनी रहे।

देर रात तक चला उत्सव
अध्यक्ष उत्कर्षा लखोटिया व सचिव वैशाली खुवाल ने बताया कि कार्यक्रम में बजने वाले लोकप्रिय गानों में “धोली तारो ढोल बाजे”, “चोगाड़ा तारा”, “नागाड़ा सांग ढोल बाजे”, और “कमरिया लहराए” शामिल थे। इन धुनों पर लोग झूमते रहे और डांडिया की थाप से पूरा परिसर गुंजायमान हो उठा। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण डांडिया प्रतियोगिता रही, जिसमें हर उम्र के लोगों ने भाग लेकर अपने बेहतरीन प्रदर्शन से सभी का मन मोह लिया। विभिन्न राउंड में अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों ने जमकर नृत्य किया।