रामलीला मंचन: प्रभु श्री राम की चरण रज पाकर शिला बन गई अहिल्या

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माता जानकी ने किया गौरी पूजन, राम लक्ष्मण के दर्शन पाकर धन्य हुए जनकपुरवासी

कोटा। Kota Dussehra: 131वें राष्ट्रीय मेला दशहरा- 2024 के अंतर्गत श्रीराम रंगमंच पर आयोजित की जा रही रामलीला में चौथे दिन रविवार को अहिल्या उद्धार, गंगा अवतरण, जनकपुरी गमन, नगर दर्शन, पुष्प वाटिका, गौरी पूजन के दृश्यों का मंचन किया गया। इस दौरान वृंदावन के श्री श्यामा श्याम लीला संस्थान के कलाकारों द्वारा रामलीला मंचन को जीवंत कर दिया।

मंचन का शुभारंभ मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी, अतिरिक्त मेला अधिकारी महेश गोयल, पार्षद रामबाबू सोनी, भानुप्रताप गौड़, एक्सईएन प्रकाशचंद शर्मा के द्वारा प्रभु श्रीराम के प्रतिरुप और श्री रामचरित मानस के पूजन के साथ किया गया।

लीला का मंचन करते हुए बताया कि प्रभु राम मुनि विश्वामित्र के साथ रास्ते में जाते हैं। इसी बीच एक आश्रम में पत्थर की शिला देखकर भगवान राम ने विश्वामित्र जी से उसके बारे में पूछा। तब विश्वामित्र ने पूरी कथा राम जी को बताई। उन्होंने कहा कि यह शिला गौतम मुनि की पत्नी हैं। जो श्राप वश पत्थर की देह धारण किए है। श्रीराम जी के पवित्र चरणों की रज का स्पर्श पाते ही अहिल्या प्रकट हो जाती हैं। वह भगवान के चरणों में लिपट जाती है। इसके बाद अहिल्या का उद्धार होता है और वह पति के लोक को चली जाती हैं।

अगले दृश्य में मुनि विश्वामित्र के साथ चलते-चलते जनकपुर के निकट पहुंच जाते हैं। जनकपुर पहुंचकर श्रीराम एवं लक्ष्मण जनक बाजार में पहुंचते हैं। जहाँ तरह तरह की दुकानें सुसज्जित थी। विभिन्न प्रकार के पकवान एवं तरह तरह की मिठाईयां देख उनका मन प्रसन्न हो गया। अगले दृश्य मे माता सीता मनचाहे वर के लिए माता गौरी की पूजा करती हैं, ताकि उन्हें राम वर के रुप मे प्राप्त हों। वह अपना मनचाहा वर प्राप्त कर सकें।

रामलीला का सीधा प्रसारण

मुनि विश्वामित्र ने सुनाई गंगा अवतरण की कथा
अहिल्या का उद्धार करने के बाद राम गुरु विश्वामित्र के साथ गंगा तट पर विश्राम करते हैं। राम उत्सुकतावश गुरु विश्वामित्र से नदी के विषय मे पूछते हैं। तब गुरु विश्वामित्र जी दोनों भाइयों को गंगा जी के महात्म्य व अवतरण की कथा बताते हैं। विश्वामित्र ने बताया कि राम के पूर्वज राजा भगीरथ के हजार वर्षों की तपस्या के पश्चात मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था।

अपलक निहारते रहे श्रीराम जानकी
ऋषि विश्वामित्र जब राम और लक्ष्मण को लेकर जनकपुरी पहुंचे तो मिथिला की युवतियां उनकी सुंदरता का बखान करने को विवश हो गईं। महर्षि ने रामचंद्र को पुष्प लाने के लिए वाटिका भेजा। जब वे पुष्प वाटिका पहुंचे तो गौरी पूजन के लिए आईं जानकी जी के कदम उन्हें देखकर ठिठक गए। इसके बाद श्री राम और जानकी एक दूसरे को अपलक निहारते रहे।

छुट्टी के दिन रही भीड़
रामलीला का मंचन देखने के लिए दर्शकों को संख्या रोजाना बढ़ रही है। निशुल्क बस व्यवस्था और रविवार को छुट्टी का दिन होने से मेले में भी खासी चहल पहल रही। वहीं मंचन देखने के लिए भी श्रीराम रंगमंच पर दर्शक बड़ी संख्या में जमा हुए थे।