Kota Dussehra: दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ, जनकपुरी में अकाल ने किया भाव विभोर

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कोटा। Kota Dussehra 2024: 131वें राष्ट्रीय दशहरा मेला के अंतर्गत श्रीराम रंगमंच पर चल रही रामलीला में शनिवार को पुत्रेष्टि यज्ञ, श्रीराम जन्म, बधाई उत्सव, नामकरण संस्कार, विश्वामित्र आगमन और ताड़का वध का मंचन किया गया। श्री श्यामा श्याम लीला संस्थान के कलाकारों ने विभिन्न लीलाओं के मंचन में भावपूर्ण प्रस्तुतियां दीं।

अतिथि भाजपा देहात जिलाध्यक्ष प्रेम गोचर, पूर्व मंत्री रामगोपाल बैरवा, मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी, अतिरिक्त मेला अधिकारी महेश कुमार गोयल, मेला प्रभारी महावीर सिंह सिसोदिया ने भगवान लक्ष्मीनारायण के प्रतिरूप तथा रामचरित मानस का पूजन और आरती की।

मंचन में माता कौशल्या की कोख से भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्रीराम ने जन्म लिया तो पूरा विश्व मंगल गान करने लगता है। इस दौरान भगवान राम के जन्म के बाद अयोध्या में घर-घर मिठाई बांटकर खुशियां मनाई गई। राम जन्म होते ही दर्शकों ने जय श्रीराम के जयकारे लगाए।

इससे पहले राजा दशरथ के संतान न होने के कारण अपने कुलगुरु ऋषि वशिष्ठ के पास जाना और वशिष्ठ द्वारा शृंगी ऋषि द्वारा शुभ पुत्र कामेष्ठि यज्ञ करवाने की लीला का मंचन किया गया। इसी के साथ राजा दशरथ द्वारा तीनों रानियों कौशल्या, कैकई और सुमित्रा को खीर प्रदान करना, खीर खाकर तीनों रानियों के गर्भवती होना और भगवान राम के साथ तीनों भाईयों के जन्म लेते ही राजा दशरथ और रानी कौशल्या बड़े ही उत्साहित होने की लीलाओं का मंचन किया गया। इसके बाद रामलीला देखने आए दर्शकों ने जय श्रीराम के जयकारे लगाए।

पुत्रेष्टि यज्ञ पर पलकें हुई गीली
मंगलवार को श्री रामलीला के दौरान विभिन्न प्रसंगों पर दर्शकों की भाव भंगिमाएं भी बदलती रही। श्रीराम के जन्म के बाल लीलाओं और शिव के द्वारा दर्शनों के प्रसंगों पर दर्शकों की गुदगुदी छूट गई। वहीं संतान सुख से वंचित दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ और जनकपुरी में अकाल के दृश्यों ने भाव विभोर कर दिया। राजा जनक के प्रजा के लिए हल चलाने और सीता जन्म के प्रसंग मार्मिक बन गए थे।

राजा दशरथ और विश्वामित्र के संवादों ने किया भाव विभोर
रामजन्म के बाद रामलीला में आगे कलाकारों ने विश्वामित्र और राजा दशरथ के संवाद का मंचन किया।रामलीला के दौरान सुबाहु व मारीच राक्षसों द्वारा महर्षि विश्वामित्र यज्ञशाला खंडित करने पर महर्षि विश्वामित्र उन पर क्रोधित होकर अपने यज्ञ की रक्षा के लिए दशरथ के दरबार में गए। उन्होंने दोनों पुत्रों राम, लक्ष्मण को अपने साथ लेकर जाने की बात कहते हैं। राजा दशरथ ने विश्वामित्र से कहा राम अभी छोटे हैं। राक्षसों का कैसे सामना करेंगे, हालांकि राम को उन्होंने भेज दिया।

ताड़का वध ने किया रोमांचित
घने जंगल के रास्ते से जाते समय भयंकर ताड़का नामक राक्षसी मिलती है। राम, लक्ष्मण युद्ध कर उसका वध कर देते हैं। ताड़का वध के दृश्य को देखकर दर्शक रोमांचित हो उठे।