दो हजार के 358 लाख नोट अब भी धन्नासेठों की तिजोरियों में बंद: रिजर्व बैंक

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यानी 7,160 करोड़ रुपये काला धन, जिसे खपाने की जगत में है धन्ना सेठ

नई दिल्ली। दो हजार रुपये के 358 लाख नोट (7,160 करोड़ रुपये) अभी धन्नासेठों की तिजोरियों में कैद हैं। चलन पर रोक लगने के 16 महीने बाद भी यह रिजर्व बैंक के करेंसी चेस्ट में वापस नहीं पहुंचे हैं। रिजर्व बैंक की 30 सितंबर की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

माना जा रहा है कि इसमें से बड़ा हिस्सा काला धन है, जिसे लोग अपने खातों में दर्शाने से बच रहे हैं। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस भारी रकम को सफेद करने के रास्ते और मौके ढूंढ़े जा रहे होंगे।

दो हजार रुपये का नोट अभी लीगल टेंडर हैं लेकिन इसे चलन से बाहर घोषित किया जा चुका है। 09 अक्तूबर 2023 के बाद से रिजर्व बैंक के सिवा कोई अन्य बैंक भी इसे बदल नहीं सकता है। रिजर्व बैंक की शाखाओं में गाहे-ब-गाहे लोग गुलाबी नोट बदलवाने पहुंच रहे हैं।

पिछले तीन महीने का औसत देखें तो लगभग दो लाख नोट प्रति सप्ताह रिजर्व बैंक तक पहुंच रहे हैं। सितंबर के तीन सप्ताह की विस्तृत रिपोर्ट के मुताबिक पहले हफ्ते तक 361 लाख नोट बाजार में थे। जो 20 सितंबर तक 358 लाख बचे। यानि इन तीन सप्ताह में कुल तीन लाख नोट ही वापस लौटे।

आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार दो अगस्त तक 370 लाख दो हजारी नोट बाजार में घूम रहे थे। 30 अगस्त को 363 लाख गुलाबी नोटों का इंतजार था। महीने में सात लाख नोट आरबीआई के पास बाजार से लौटकर पहुंचे।

नोट वापसी की गति जुलाई में धीमी रही। पांच जुलाई तक 377 लाख नोट तिजोरियों में बंद थे। 26 जुलाई तक 372 लाख नोट बाजार में थे। यानी तीन सप्ताह में पांच लाख नोट वापस लौटे। जुलाई से सितंबर के बीच 12 सप्ताह में 19 लाख नोट आरबीआई के पास वापस लौटे हैं।

नोट न लौटने पर उठ रहे सवाल
आमतौर पर चलन से बाहर होने के बाद कोई भी व्यक्ति या संस्था नोट तत्काल बदलने का प्रयास करती है। लेकिन दो हजार के 358 लाख नोट 16 महीने में भी बाजार से न लौटने पर विशेषज्ञ सवाल उठाते हैं। बैकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भ्रष्टाचारियों की तिजोरियों में कालेधन की तस्दीक होती है।

ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन के नेशनल ज्वाइंट सेक्रेटरी, रजनीश गुप्ता ने कहा कि आखिर इतने नोट अब तक वापस क्यों नहीं लौटे, यह बड़ा सवाल है। इसके कालाधन होने में कोई संदेह नहीं है। सरकार को शत प्रतिशत नोट वापसी के लिए प्रयास करने चाहिए।

आर्थिक मामलों के वरिष्ठ जानकार, धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि दो हजार के 358 लाख नोट बाजार से वापस न आना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। अधिकतम संभावना है कि यह काला धन है। इसे किसी न किसी तरीके से सफेद करने की जुगत ढूंढ़ी जा रही होगी।