आय से अधिक व्यय और पुण्य से अधिक चाह न करें: आदित्य सागर मुनिराज

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कोटा। जीवन में सफलता के लिए मेहनत और अच्छे कार्य करना आवश्यक है। केवल इच्छाओं से कुछ नहीं मिल सकता, हमें कर्मों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह बात आदित्य सागर मुनिराज ने चंद्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर समिति द्वारा बुधवार को आयोजित नीति प्रवचन में कही।

महाराज आदित्य सागर ने कहा कि पुण्य कार्य करके और मेहनत करके व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। यह बदलाव जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सहायक होंगे। सफलता का रहस्य मेहनत में छिपा है। अगर आप मेहनत करेंगे तो निश्चित रूप से आपकी मेहनत का फल मीठा होगा और आप सफल होंगे।

छोटे-छोटे पुण्य कर्मों का महत्व जीवन में बहुत बड़ा होता है। ये कर्म न केवल दूसरों की सहायता करते हैं, बल्कि आपके लिए भी सफलता के दरवाजे खोलते हैं। आय से अधिक व्यय करने से जीवन में केवल संक्लेशता और दुख बढ़ता है। इसलिए हमेशा अपनी आय के अनुसार ही व्यय करना चाहिए, नहीं तो आर्थिक समस्याएं बढ़ सकती हैं।

उन्होंने कहा कि सिर्फ चाहने से कोई भी चीज हासिल नहीं होती, मेहनत और पुण्य पर विश्वास करना जरूरी है। जीवन में वास्तविकता को समझकर ही आगे बढ़ना चाहिए। मेहनत और पुण्य के बिना कोई भी सफलता हासिल नहीं हो सकती। जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हुए मेहनत करना आवश्यक है।

मेहनत और पुण्य का संतुलन होना चाहिए। जितना अधिक व्यक्ति मेहनत करेगा, उतना ही अधिक पुण्य और सफलता प्राप्त करेगा और हमें अवसर खुद बनाना सीखना चाहिए। अगर अवसर नहीं मिलते हैं, तो व्यक्ति को खुद प्रयास करके उन्हें हासिल करना चाहिए।

इस अवसर पर चातुर्मास समिति के चातुर्मास समिति अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज, ऋद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, निर्मल अजमेरा, पारस कासलीवाल, ताराचंद बडला, संजय लुहाड़िया, अनिल टोला, जिनेन्द्र जज सा., सुगन चंद कोटिया, सौभागमल मालू, पारस लुहाड़िया, नरेंद्र सेठिया, पुष्प लुहाड़िया, संजय सांवला, मनोज मित्तल सहित कई लोग उपस्थित रहे।