जिसके पास सेल्फ कंट्रोल है, वहीं उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करेगा: आदित्य सागर

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कोटा। पर्युषण पर्व के तहत चंद्र प्रभु दिगंबर जैन समाज समिति की ओर से मंगलवार को जैन मंदिर ऋद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में आध्यात्मिक श्रावक साधना संस्कार शिविर में आदित्य सागर मुनिराज ने तत्त्वार्थसूत्र रहस्य में उत्तम ब्रह्मचर्य पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि वासना नहीं, आराधना उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म है। उन्होंने कहा कि पर्याय में भेंद करना ​सीखना होगा। स्व पत्नि व स्व पति धर्म के बारे में बताया और संस्कार शिविर में सबको बैठने के लिए निर्देश दिए।

उन्होंने कहा​ कि जो पात्र होंगे वही संस्कार शिविर में भाग लेंगे और पापी होंगे वह दूर भाग लेंगे। तत्त्वार्थसूत्र रहस्य में उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के विनाश के कारणों पर चर्चा कर श्रावकों को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि जिसके पास सेल्फ कंट्रोल है, वहीं उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का पालन कर पाएगा।

चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी ने बताया कि मंगलवार को जैन मंदिर ऋद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में स्थित मंदिरों से जिनेंद्र भगवान की शोभायात्रा निकाली। बाद में मंदिर पहुंचकर जिनेंद्र भगवान की प्रतिमा पर कलशाभिषेक किया गया।

पारस कासलीवाल ने बताया कि इस अवसर पर 10 उपवास करने वाले 51 लोगों को आदित्य सागर मुनिराज ने सम्मानित किया। इस अवसर पर 10, 5 और 3 उपवास वालें भी उपस्थित रहे।