भारतेंदु हरिश्चंद्र की 174वीं जयंती पर 15 साहित्यकारों का किया सम्मान

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स्वर सुधाश्री से सम्मनित हुए आकाशवाणी कलाकार डॉ. राजेन्द्र माहेश्वरी

कोटा। भारतेन्दु समिति द्वारा सोमवार को भारतेंदु हरिश्चंद्र की 174वीं जयंती पर माहेश्वरी भवन में विशेष समारोह का आयोजन किया गया। अध्यक्ष हरिकृष्णबिरला ने बताया कि कार्यक्रम में भारतेंदु के मूल्यों और उनके अमूल्य योगदान को याद किया गया। उनका प्रमुख नारा “निज भाषा उन्नति अहै” हिंदी और भारतीय भाषाओं के संरक्षण एवं प्रचार पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन कवि एवं वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा रामू भैया ने किया। स्वागत भाषण समिति के अध्यक्ष हरिकृष्ण बिरला ने पढ़ा। इस अवसर पर समिति की त्रैमासिक पुस्तक चिदम्बरा का भी लोकार्पण किया गया।

इन्हें किया सम्मानित
मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महासभा के उपसभापति (पश्चिमांचल) राजेशकृष्ण बिरला, अध्यक्ष हरिकृष्ण बिरला, विशिष्ट अतिथि महापौर राजीव अग्रवाल, मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी, भाजपा नेता पंकज मेहता, भाजपा जिला अध्यक्ष राकेश जैन, समिति के निजामुद्दीन बबलू व साहित्यकार रामेश्वर शर्मा (रामू भैया) ने 15 साहित्यकारों व कवियों को माला शॉल व प्रमाणपत्र तथा स्मृति पत्र भेंट कर सम्मानित किया।

महामंत्री सुनील जायसवाल व अर्थमंत्री राजेन्द्र शारदा ने बताय कि फूलचंद शर्मा को प्रतिष्ठित हनुमान प्रसाद सक्सेना हिंदी सम्मान व डॉ. राजेंद्र माहेश्वरी को स्वर सुधाश्री से सम्मानित किया गया। इनके अलावा 13 साहित्यकारों को साहित्यश्री 2024 से सम्मानित किया गया।

डॉ. उषा खण्डेलवाल दमोह, डॉ. गायत्री सिंह कानपुर, डॉ. वर्षा सिंह महाराष्ट्र, डॉ. संध्या सिंह सूफी झारखण्ड, रचना सरन कोलकाता, पल्लवी दरक न्याती कोटा, पद्मावती पदम आगरा, मंजू किशोर रश्मि कोटा, डॉ. नीलप्रभा नाहर कोटा, डॉ. आदित्य गुप्ता कोटा , महेश पंचोली कापरेन, देवकी नन्दन दर्पण रोटेदा, हेमराज सिंह हेम कोटा को साहित्य श्री से सम्मानित किया गया।

नवाचारों से जोड़कर साहित्य को आगे बढ़ाएं : दिलावर
मुख्य अतिथि मदन दिलावर ने साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने और नवाचारों से जोड़कर साहित्य को आगे बढ़ाने की बात कही। भारतेंदु की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने हिंदी भाषा और साहित्य के शिक्षण को बढ़ावा दिया, ताकि युवाओं को हिंदी की गहनता से समझ सके। कार्यक्रम समन्वयक व रेडक्रॉस के स्टेट प्रसिडेंट राजेश कृष्ण बिरला कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र हिंदी साहित्य के पितामह व हिंदी में आधुनिकता के पहले रचनाकार रहे है। श्रीभारतेंदुजी ने रीतिकाल की विकृत सामन्ती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ परंपरा की भूमिका अपनाई और नवीनता के बीज बोये।

हरिकृष्ण बिरला ने कहा कि हिंदी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारंभ भारतेंदु हरीशचंद्र से माना जाता है। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में अपनी प्रतिभा का उपयोग किया। पंकज मेहता ने कहा कि समिति में राजेश कृष्णा बिरला द्वारा साहित्यकार सम्मान समारोह प्रारंभ हुआ और उसे हरिकृष्ण ने नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। महापौर राजीव अग्रवाल ने अपने पिता की पंक्तियों से अपना उद्बोधन प्रारंभ किया उन्होंने कहानी कविताएं भी सुनाई। सुनील जायसवाल ने कहा कि भारतेंदु बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।