एग्रीकल्चर वेस्ट से बन रहा कंचन, देश के कई प्रदेशों से आए विशेषज्ञों ने किया मंथन

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कोटा। Seminar on Agricultural Waste: देशभर में एग्रीकल्चर वेस्ट से ग्रीन एनर्जी, बायोगैस, बायो डीजल और बिजली बनाए जाने के लिए वेस्ट का तेजी से इस्तेमाल हो रहा है। पराली, भूसा, सरसों का वेस्ट, वुडन सहित कई तरह के वेस्ट के इस्तेमाल से कचरा अब कंचन बनता जा रहा है। देशभर के 80 विशेषज्ञ यहां आए और उन्होंने मंथन किया कि आने वाला समय कोयले का नहीं रहेगा और एग्रीकल्चर वेस्ट उनके लिए वरदान साबित होगा।

देश को ग्रीन एनर्जी स्रोतों का समर्थन करने के उद्देश्य से निवेश और प्रयासों में महत्वपूर्ण वृद्धि हो रही है। निवेशक ग्रीन एनर्जी स्टॉक पर अपना ध्यान बढ़ा रहे हैं, जो अच्छी ग्रोथ संभावनाएं और संभावित लॉन्ग-टर्म लाभ प्रदान करते हैं। पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण को कम करना, कोयले की निर्भरता को कम करना और नए स्त्रोत की तलाश करना जिससे ग्रीन एनर्जी को बढावा मिले इन सभी उद्देश्यों को लेकर कोटा के रानपुर क्षेत्र में दो दिवसीय सेमीनार का समापन रविवार को हुआ, जिसमें देशभर से 80 से अधिक विषय विशेषज्ञ आए।

उन्होंने नए उपक्रम लगाने, नए उत्पादन के स्त्रोत, सरकार की नई पॉलीसी, एनटीपीसी में प्रयोग में लिए जा रहे ग्रीन एनर्जी प्रोडक्ट सहित कई विषयों पर मंथन किया और हाडौती के कई क्षेत्रों का भ्रमण भी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यहां नए उपक्रम लगाए जाने की अपार संभावनाएं हैं।

कार्यक्रम संयोजक अवनीश कुलश्रेष्ठ ने बताया कि एनटीपीसी, थर्मल, रीको, निगम सहित कई संस्थान के अधिकारी यहां उपस्थित हुए और ग्रीन एनर्जी को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। यहां राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, केरल सहित कई जगह से एक्सपर्ट आए और वहां की स्थिति के अनुसार अपने विचारों को सांझा किया।

हाडौती में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है एग्रीकल्चर वेस्ट
संस्थान के निदेशक अंशुल जैन ने कहा कि इस तरह का सेमिनार देश में पहली बार कोटा में हुआ है, जिसमें व्यवसायी, अधिकारी, कम्पनी के विषय विशेषज्ञ, उत्पादक, किसान, उद्यमी सहित कई लोग एक साथ जमा हुए। जिन्होंने बिजली बनाने में कोयले के साथ इस्तेमाल किए जा रहे हैं, पेलेट, बायोगेस, इन सभी पर जानकारी जुटाई। ट्रेनिंग एण्ड स्किल डवलपमेंट प्रोग्राम मोहित वर्मा ने कहा कि यह देश का पहला स्किल डवलेमेंट कार्यक्रम था जिसमें बताया गया कि आप आने वाले समय में कचरे से सोना बना सकते हैं, माल कहां से लेना है, कैसे स्टोर करना है, कौन सा प्लांट लगाना है, किसानों को क्या लाभ है, रोजगार, प्रकृति सहित कई विषयों पर यहां सुबह से लेकर शाम तक दो दिनों तक गहन मंथन हुआ। एक्सपर्ट अर्पित विजय ने कहा कि हाडौती संभाग बडी मात्रा में खेती होती है जिससे निकलने वाला वेस्ट नए स्त्रोतों को जन्म देगा, यहां का वेस्ट लोगों को जहां रोजगार बढाएगा वहीं नए उद्यम लगाए जाने में अपनी महत्ती भूमिका निभाएगा।