कोटा। चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन समाज समिति की ओर से जैन मंदिर रिद्धि- सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में आयोजित चातुर्मास के अवसर पर रविवार को आदित्य सागर मुनिराज ने कहा कि पर्वों का व्यावसायकिकरण होता जा रहा है। पूर्व का जैसा स्वरूप है वैसा ही मनाए जाए। आधुनिकरण की चमक- दमक से पूर्व का स्वरूप परिवर्तित हो गया है। उन्होने कहा कि पूर्व तो विशुद्ध का साधन और धर्म का हिस्सा है।
श्रावकों के प्रश्नों के उत्तर में उन्होंने जीवन में समस्याओं को स्पीड ब्रेकर की तरह समझने की सलाह देते हुए कहा स्पीड ब्रेकर स्पीड स्लो करते हैं। रूक नहीं जाते हैं। ऐसी समस्या आने पर जीवनकी गति को मध्यम करें, जीवन को हार न जाएं। उन्होंने कहा कि समस्या रूपी कील, पत्थर, कंकर सब जिंदगी में आयेंगे।
परन्तु हमें ट्यूबलेस टायर बनना है, पंचर नहीं होना है। अन्य श्रावक के प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि निर्णय लेना कठिन हो तो अपनी कमजोरियों व कमियों पर कार्य करें। स्वंय विश्वास करें और निर्णय लें आपको या तो समझ मिलेगी या सफलता और एक दिन कब्बडी करते-करते आप जिंदगी की समस्या रूपी खेल में विजयी बनेंगे।
इस अवसर पर सकल जैन समाज के अध्यक्ष विमल जी नांता, रिद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, मनीष सहित कई शहरो के श्रावक उपस्थित रहे।