जिसकी जुबान व चेहरा एक हो, उसी का भरोसा किया जा सकता है: आदित्य सागर

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कोटा। चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन समाज समिति की ओर से जैन मंदिर रिद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में आयोजित चातुर्मास के अवसर पर आदित्य सागर महाराज ने बुधवार को
अपने नीति प्रवचन में कहा कि ‘मुखौटा वाला’ जीवन मत जीना। व्यक्ति दो चेहरा रखता है, एक संसार के लिए, एक खुद के लिए जो वह वास्तिविक है।

यदि आपके मुखौटे है ज्यादा हैं, तो आप जनता में लोकप्रिय नहीं हो सकते हैं। जो सच्चा हो जिसकी जुबान व चेहरा एक हो, वही विश्वास प्राप्त कर सकता है। हमें जीवन में ईमानदार व सच्चा बनना है। उन्होंने कहा कि लोग भगवान के समक्ष भी बोलते कुछ हैं और करते कुछ हैं।

अपने कार्य सिद्धी के लिए वचन भी देते हैं, परन्तु उन्हें पूरा नहीं करते हैं। यह भगवान को ठगने के समान है। पहले त्यौहारों में मुखोटे काम आते थे। अब लोग अपने व्यवहार में मुखोटों का इस्तेमाल करते हैं।

उन्होंने कहा कि हमें जीवन मे लोगों से तुरंत प्रभावित नहीं होना चाहिए। उनके चहरे व भाषा से प्रभावित होने के ​स्थान पर उनके विचारों व व्यवहार के आंकलन के बाद मत कायम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आधुनिकता के दौर में सब मुखोटे लगाकर बैठे हैं।

वाट्सअप, फेसबुक तथा इंस्ट्राग्राम पर डीपी बिना फिल्टर करे नहीं लगाई जाती है। उन्होंने कहा कि यह सब मुखौटे वाले जीवन हैं। उन्होंने कहा कि पहले लोग खेल में मुखोटा लगाते थे, अब जीवन से खेलने के​ लिए मुखौटा लगाकर कर मिलते हैं।