कोटा। चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन समाज समिति द्वारा आयोजित चातुर्मास पर जैन मंदिर रिद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में रविवार को आदित्य सागर मुनिराज ने अपने ज्ञान की वर्षा भक्तों पर की। इस अवसर पर अप्रमित सागर और मुनि सहज सागर महाराज संघ का सानिध्य भी प्राप्त हुआ।
मुनि श्री के सानिध्य एवं प्रेरणा से जिनवाणी मंदिर एवं स्वाध्याय कक्ष बनाने के लिए चंद्र प्रभु मंदिर समिति एवं ट्रस्ट नें मुनि श्री आदित्य सागर को श्री फल भेंट किया। मुनि श्री नें सबको आशीर्वाद देकर अद्भुत एवं अनुपम जिनवाणी मंदिर एवं स्वाध्याय कक्ष बनाने के लिए आशीर्वाद दिया। जिनवाणी मंदिर में 800 साल पुराने ताड़ पत्र के ग्रंथ स्थापित किये जायेंगे। अध्यात्म विशुद्ध ज्ञान पावन वर्षायोग में कार्यक्रम संचालन पारस कासलीवाल ने किया।
अतीत को न होने दें हावी
गुरुदेव ने नीति प्रवचन करते हुए कहा कि इस संसार में जो है वह पापी हैं, तभी मृत्यु लोक में विराजमान हैं। हमें कर्म शुद्ध कर मोक्ष राह पर चलना है। इसके लिए भूतकाल में जो हुआ उसे भूलकर आगे बढना है। अतीत को वर्तमान पर हावी न होने दें । क्या हो चुका है इसकी सोच में हम उलझे हुए रहते हैं। परन्तु क्या हो सकता है इसका विचार नहीं करते हैं। इससे आध्यात्मिक व व्यवहारिक समझ समाप्त होती है। उन्होंने कहा कि यदि हम भूतकाल से बंधे रहे तो वर्तमान का आनंद नहीं ले सकते। हम अतीत का स्मरण व अनुभव करते रहे तो वर्तमान को आघात होता रहेगा। भूतकाल में बंधे रहे तो भूत बन कर रह जाओगे और वर्तमान में जिए तो वर्तमान के सफर की ओर बढ़ जाओगे।
गलतियों के लिए बनें इरेजर
गुरुदेव ने कहा कि हमें पेंसिल नहीं ब्रांडेड पेंसिल बनना है। जो गलती कम करे, यदि हो जाए तो उसे मिटा दे और आगे बढ़े और भविष्य में ऐसे गलती न हो उसका भी ध्यान रखें ।
उन्होंने कहा हमारे पैरों के निशान हमें ही मिटाने हैं। गलतियों को सुधार करके आगे बढना है, उसमें बंधना नहीं है। जैसे ठहरे हुए पानी में दुर्गंध आ जाती है, वैसे ही बंधे हुए अतीत की दुर्गंध से भवष्यि में भी दुर्गंध होती है।
इस अवसर पर सकल जैन समाज के अध्यक्ष विमल जैन नांता, महामंत्री विनोद टोरडी चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, रिद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला के अलावा केकड़ी, इंदौर, जबलपुर, भीलवाड़ा, किशनगढ़ सहित कई शहरों के श्रावक उपस्थित रहे।