नई दिल्ली।अगर किसी ने बैंकों में जमा राशि या निवेश राशि का अपने आयकर रिटर्न में उल्लेख नहीं किया है तो अब यह बेनामी संपत्ति मानी जाएगी। आयकर विभाग ने ऐसे मामलों की जांच बेनामी संपत्ति के नजरिए से शुरू कर दी है। अगर यह बेनामी संपत्ति साबित हुई तो कार्रवाई बेनामी कानून के तहत ही की जाएगी।
अब तक ऐसे मामलों को कर चोरी के मामलों के दायरे में लाकर जांच की जाती थी। नए कानून के तहत बेनामी संपत्ति रखनेवालों को 7 साल तक की कैद हो सकती है और संपत्ति के 10 प्रतिशत तक का जुर्माना भी लग सकता है। अगर कोई व्यक्ति गलत जानकारी देता है तो उसे 5 साल की कैद हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, नोटबंदी के दौरान कई लोगों ने अपने और दूसरों के बैंक खातों में मोटी रकम जमा कराई और बाद में निकाल ली। इसी तरह से निवेश भी भारी मात्रा में किया, मगर इन लोगों ने इसका उल्लेख आईटी रिटर्न में नहीं किया।
क्या होगी प्रक्रिया
आयकर विभाग ने ऐसे लोगों की सूची तैयार की है जिन्होंने बैंकों में जमा राशि या निवेश को आयकर रिटर्न में नहीं दिखाया है। इसमें लोग और कंपनियां दोनों शामिल हैं। इन लोगों को नोटिस भेजे जा रहे हैं। सबसे पहले इस बात का प्रमाण मांगा जाएगा कि इन्होंने बैंकों में जो पैसा जमा कराया और निवेश किया, वह उनका ही है। ऐसा साबित न होने पर इनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
खास रणनीति
विभाग ने बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई के लिए विशेषीकृत वित्तीय लेन-देन (एसएफटी) का दायरा बढ़ा दिया है। बेनामी संपत्ति का पता लगाने के लिए 24 खास टीमें तैनात हैं।