पिछले दो माह में बासमती चावल का निर्यात 15 प्रतिशत बढ़कर 9.60 लाख टन रहा

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नई दिल्ली। Basmati Rice Export: चालू वित्त वर्ष के शुरूआती दो महीनों में यानी अप्रैल-मई 2024 के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 9.60 लाख टन पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि से 15 प्रतिशत अधिक रहा। इसी तरह बासमती चावल की निर्यात आय भी 15 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1.03 अरब डॉलर पर पहुंच गई।

एक अग्रणी निर्यातक के अनुसार प्रमुख आयातक देशों ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारी मात्रा में बासमती चावल मंगाकर इसके विशाल स्टॉक का निर्माण कर लिया है और इसलिए भारी मात्रा में बासमती चावल मंगाकर इसके विशाल स्टॉक का निर्माण कर लिया है और इसलिए वे आगामी कुछ महीनों तक ऊंचे दाम पर इसकी खरीद का प्रयास नहीं करना चाहेंगे।

इधर इसलिए घरेलू प्रभाग में पिछले खरीफ सीजन के दौरान बासमती धान का बम्पर उत्पादन होने से मिलर्स एवं व्यापारियों- निर्यातकों के पास बासमती चावल का भारी-भरकम पिछला बकाया स्टॉक मौजूद है।

पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में अगले कुछ महीनों के दौरान बासमती धान की नई फसल की कटाई-तैयारी एवं मंडियों में आवक शुरू हो जाएगी इसलिए सरकार को बासमती चावल के लिए नियत न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) में कटौती करनी चाहिए अथवा इसे समाप्त कर देना चाहिए। इससे अगले मार्केटिंग सीजन में किसानों को बासमती धान का लाभप्रद मूल्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।

वित्त वर्ष 2023-24 की पूरी अवधि (अप्रैल-मार्च) के दौरान भारत से बासमती चावल का निर्यात उछलकर 58.40 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जिससे 5.83 अरब डॉलर की शानदार आमदनी प्राप्त हुई।

यदि इस वर्ष बासमती धान का बेहतर उत्पादन हुआ और मेप को समाप्त कर दिया गया तो बासमती चावल का निर्यात बढ़कर पिछले साल के रिकॉर्ड स्तर से भी ऊपर पहुंच सकता है। उद्योग व्यापार समीक्षकों के अनुसार वर्ष 2023 के खरीफ सीजन में बासमती चावल का उत्पादन 2022 की तुलना में करीब 20 प्रतिशत बढ़कर 80 लाख टन पर पहुंच गया।

इसमें से लगभग 15 लाख टन का उपयोग घरेलू प्रभाग में हुआ और 15-20 लाख टन का बकाया अधिशेष स्टॉक चालू वित्त वर्ष के लिए उपलब्ध रहा जबकि बासमती चावल की शेष मात्रा का विदेशों में निर्यात किया गया। इस बार मानसून की अच्छी वर्षा होने से बासमती धान-चावल का एक बार फिर शानदार घरेलू उत्पादन होने के आसार हैं।