फूलों से सज्जित सुंदर नौका में विराजे ठाकुर जी के विग्रह स्वरूप मथुराधीश प्रभु
कोटा। बल्लभ संप्रदाय की शुद्धाद्वैत प्रथम पीठ श्री बड़े मथुराधीश मंदिर पाटनपोल पर निर्जला एकादशी पर मंगलवार को प्रभु का नाव मनोरथ हुआ। इस दौरान भगवान मथुराधीश प्रभु के नौका विहार की झांकी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े। भक्तों ने ठाकुर जी के साथ यमुना मैया के जयकारों से भवन को गूंजा दिया।
मनोरथ के दौरान प्रभु के बगीचे को जल से भरा गया। जिसमें नाव का मनोरथ किया गया। जल में विविध प्रकार के इत्र घोले गए। मोगरे, गुलाब, कमल आदि के पुष्प और लकड़ी से बने हुए मगरमच्छ और कछुए समेत विभिन्न खिलौने तैराए गए। चांदी की थाली में रुई से बनी हुई बतखें भी तेराई गई।
फूलों से सुसज्जित सुंदर नौका में विराजित ठाकुर जी के विग्रह स्वरूप श्री मथुराधीश प्रभु वैष्णवों पर आनंद की वर्षा कर रहे थे। नौका सखियों और ग्वालों की मूर्ति से सुसज्जित थी। ठाकुर जी को मंदिर में पधराने और नौका को हटाने के बाद वैष्णवों ने भी स्नान का आनंद उठाया।
इस अवसर पर प्रभु को विशेष शृंगार धराया गया। भोग में एकादशी के फलहार के रूप में मावे का चूरा, मलाई, रबड़ी, मिश्री मावा आरोगाया गया। सिंगाड़े की बूंदी का भोग लगाकर सभी दर्शनार्थियों को वितरित किया गया। मनोरथ के दौरान “नमो देवी यमुने.. आज अति शोभित है नंदलाल.. मेरे की बागर में आवत श्याम..” समेत विभिन्न पद कीर्तनों के साथ गूंजते रहे।
भक्तों ने किए किरीट श्रृंगार के दर्शन
प्रथम पीठ युवराज मिलन कुमार बावा ने बताया कि अधिक गर्मी के कारण सिर पर मुकुट नहीं धराया जाता है। अक्षय तृतीया से रथयात्रा तक ठाकुर जी के सिर पर कीरीट रखी जाती है। प्रभु के श्वेत मलमल का पिछौड़ा और किरीट के श्रृंगार दर्शनों को पाकर भक्त भाव विभोर हो गए। चाकदार घेरदार वागा, धोती पटका, मोती के कंठहार, बाजूबंद, पौंची, हस्त सांखला, कड़े, मुद्रिकाएं धारण किए प्रभु का स्वरूप आकर्षक लग रहा था। प्रभु को तुलसी की वनमाला, चांदी की वेणु जी, चरणों में रजत पेंजनिया धराई गई।