ICMR के पूर्व वैज्ञानिक कोविशील्ड के साइड इफेक्ट को लेकर क्या बोले, जानिए

0
29

नई दिल्ली। Covishield vaccine side effects: कोविशील्ड वैक्सीन के ‘साइड इफेक्ट्स’ को लेकर उठे विवाद के बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने कहा कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि कोविड-19 वैक्सीन का कोई भी दुष्प्रभाव एक “दुर्लभ घटना” है।

News18 से बातचीत के दौरान गंगाखेड़कर ने कहा कि कोरोनोवायरस वैक्सीन लेने वाले 10 लाख में से केवल 7 से 8 लोगों को थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) नाम की बीमारी होने का खतरा होता है

उन्होंने कहा “जब आपको पहली खुराक मिलती है तो जोखिम सबसे अधिक होता है। लेकिन दूसरी खुराक के साथ ही यह कम हो जाती है और तीसरी के साथ सबसे कम होता है।”
आईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक ने यह भी कहा कि कोई भी साइड इफेक्ट की शुरुआती दो से तीन महीनों के भीतर दिखाई देने की संभावना है। उन्होंने कहा कि लाखों कोरोनोवायरस वैक्सीन लेने वाले पर इस टीके के सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए, इससे जुड़ा जोखिम न्यूनतम है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी में वैक्सीन विकसित करने वाली फार्मास्युटिकल दिग्गज कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने हाल ही में यूके (United Kingdom) में अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया था कि उसकी COVID-19 वैक्सीन से साइड इफेक्ट हो सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने ब्रिटिश हाई कोर्ट में अपने एक बयान में इस बात को स्वीकार किया कि बहुत रेयर मामलों में वैक्सीन से ब्लड क्लॉट बन रहे हैं।

भारत में, वैक्सीन का उत्पादन दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा, “यह समझने की जरूरत है कि टीका लगवाने वाले 10 लाख लोगों में से केवल 7 से 8 लोगों को ही खतरा है।” गंगाखेडकर ने कहा कि लाखों लोगों पर इस टीके के सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए, जो जीवित हैं और सक्रिय हैं, इससे जुड़ा जोखिम न्यूनतम है।