नई दिल्ली। Sugar Production: चालू चीनी सीजन में इसके उत्पादन में गिरावट देखने को मिल रही है। देश में 30 अप्रैल तक चीनी के उत्पादन में करीब 2 फीसदी कमी दर्ज की गई है। हालांकि चीनी की रिकवरी पिछले साल से ज्यादा दिख रही है।
चीनी उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे है और इसने चीनी उत्पादन के अनुमान को अभी ही हासिल कर लिया है। चालू सीजन में अब गन्ने की पेराई अंतिम दौर में हैं और 95 फीसदी चीनी मिलों में पेराई बंद हो चुकी है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (NFCSF) के आंकड़ों के मुताबिक चीनी सीजन 2023-24 में अक्टूबर से 30 अप्रैल तक 315.90 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, जो पिछली समान अवधि के 321.65 लाख टन उत्पादन से 1.79 फीसदी कम है।
इस सीजन में इस दौरान औसत रिकवरी 10.09 फीसदी रही, जो पिछली समान अवधि की औसत रिकवरी 9.84 फीसदी से अधिक है। उत्तर प्रदेश में तो रिकवरी में 10 फीसदी से अधिक इजाफा हुआ है। इस सीजन में अब तक 3129.75 लाख टन गन्ने की पेराई हुई, जबकि पिछली समान अवधि में 3268.73 लाख टन गन्ने की पेराई हुई थी। जाहिर है गन्ने की पेराई में 4.25 फीसदी कमी आई है। NFCSF ने चीनी सीजन 2023-24 में 321.35 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है, जो पिछले सीजन के 330.90 लाख टन उत्पादन से 2.88 फीसदी कम है।
किस राज्य में सबसे ज्यादा उत्पादन
चालू सीजन में सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र में हुआ है। NFCSF के अनुसार 30 अप्रैल तक महाराष्ट्र में सबसे अधिक 109.95 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। महाराष्ट्र में इतने ही उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। एक-दो चीनी मिलों में अभी भी पेराई हो रही है। ऐसे में महाराष्ट्र में अनुमान से अधिक चीनी उत्पादन होने की संभावना है। महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश 103.35 लाख टन चीनी उत्पादन के साथ दूसरे पायदान पर रहा। चीनी के कुल उत्पादन में भले ही कमी आई हो। लेकिन इन दोनों प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में इसका उत्पादन बढ़ा है।
चीनी उत्पादन में क्यों आई कमी
चीनी के दोनों प्रमुख राज्यों में पिछले साल से अधिक उत्पादन हुआ है। फिर भी कुल उत्पादन घटने की प्रमुख वजह तीसरे प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य कर्नाटक में इसके उत्पादन में कमी आना है। NFCSF से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक में 30 अप्रैल तक 52.60 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जो पिछली समान अवधि के उत्पादन 58 लाख टन से 9.3 फीसदी कम है। हरियाणा, पंजाब, गुजरात व तमिलनाडु जैसे छोटे चीनी उत्पादक राज्यों में भी इसके उत्पादन में कमी दर्ज की गई है।