नई दिल्ली । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी-कलेक्शन) संग्रह और इसका अनुपालन नई कर व्यवस्था लागू किए जाने के बाद के अगले चार महीनों तक लक्ष्य से नीचे रहेगा। हालांकि निकट अवधि में इस स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा। यह दावा एक रिपोर्ट में किया गया है।
ब्रोकरेज कोटक सिक्योरिटी की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन आंकड़ों में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी के कलेक्शन और बेसिक कस्टम ड्यूटी को बाहर रखा गया है, इन दोनों में ही कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे के कारण बढ़ोतरी हुई है।
इसमें कहा गया, “दोनों संग्रह आंकड़े और साथ ही जीएसटी का अनुपालन कम रहा है। कर अनुपालन करीब 50 फीसद के आस पास रहा है और इसमें वृद्धि की तब तक संभावना नहीं है जब तक कि रिटर्न मैचिंग, ई-वे बिल और रिवर्स शुल्क सहित जीएसटी के पूरे ढांचे को सही तरह से कार्यान्वित नहीं कर लिया जाता है।”
इसमें आगे कहा गया कि संग्रह के आंकड़ों में आगे और भी गिरावट देखी जा सकती है क्योंकि सरकार ने हाल ही में ज्यादातर मदों पर कर की दरें कम कर दी हैं और अनुपालन में बड़े पैमाने पर सुधार किया जाना बाकी है।
गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल की 23वीं बैठक में 28 फीसद की टैक्स स्लैब में सिर्फ 50 वस्तुओं को ही सीमित कर दिया गया था। 200 से अधिक सामानों को 28 फीसद की टैक्स स्लैब से घटाकर 18 फीसद पर ला दिया गया था।