मुम्बई। स्वदेशी वनस्पति तेल- तिलहन उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र की एक अग्रणी संस्था- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) ने रिमोट सेंसिंग के आधार पर चालू रबी सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर सबसे प्रमुख तिलहन- सरसों का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 100.39 लाख हेक्टेयर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है जो 2022-23 सीजन के कुल क्षेत्र 95.77 लाख हेक्टेयर से 5 प्रतिशत ज्यादा है। यह आंकड़ा 1 फरवरी तक की बिजाई का है।
एसोसिएशन के अनुसार यद्यपि 2022-23 के मुकाबले 2023-24 सीजन के दौरान सरसों का उत्पादन क्षेत्र आसाम में 1.92 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 2.92 लाख हेक्टेयर से घटकर 2.69 लाख हेक्टेयर तथा पश्चिम बंगाल में 6.41 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 5.91 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया
लेकिन दूसरी ओर इसका बिजाई क्षेत्र हरियाणा में 7.35 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 7.60 लाख हेक्टेयर, मध्य प्रदेश में 13.24 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 13.96 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 37.82 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। इसके अलावा बिहार-झारखंड सहित देश के अन्य राज्यों में भी सरसों का क्षेत्रफल 9.31 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 9.76 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा।
रिमोट सेंसिंग का आंकड़ा ज्यादा सटीक माना जाता है। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय का सरसों बिजाई आंकड़ा भी इसके आसपास ही है। अधिकांश इलाकों में फसल की हालत संतोषजनक बताई जा रही है। वैसे कुछ क्षेत्रों में लम्बे समय तक ठंडे घने कोहरे का प्रकोप जारी रहने से फसल को कुछ क्षति पहुंचने की आशंका है।
हाल के दिनों में कुछ राज्यों में बारिश हुई है जिससे पिछैती बिजाई वाली सरसों की फसल को फायदा होने के आसार हैं लेकिन जिन क्षेत्रों में बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई है वहां सरसों की फसल को नुकसान हो सकता है।
सरसों के उत्पादन में राजस्थान देश का सबसे अग्रणी प्रान्त है। पहले वहां इसका क्षेत्र गत वर्ष से कुछ पीछे चल रहा था मगर अब आगे निकल गया है। सरकार को उम्मीद है कि पिछले साल की भांति चालू वर्ष के दौरान भी देश में सरसों का उत्पादन बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगा। अधिकांश थोक मंडियों में इस तिलहन का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चल रहा है जबकि इसकी नई फसल-शीघ्र ही आने वाली है।