वनगमन यात्रा, केवट प्रेम प्रंसग सुन भाव विभोर हुए श्रोता
कोटा। आज का मनुष्य सद्ग्रन्थ से और सत्संग से दूर रहने के कारण अधूरे ज्ञान लेकर भटक रहा है। किसी को शयन करने के लिए अच्छी व्यवस्था की उतनी आवश्यकता नहीं होती है, नींद की आवश्यकता होती है। ठीक वैसे ही स्वाद भोजन में नहीं बल्कि भूख में होता है।
सरस श्रीराम कथा गायन के लिए लोकप्रिय प्रेमभूषण महाराज ने उक्त उद्गार छप्पन भोग परिसर में चल रही श्रीराम कथा महोत्सव के चतुर्थ दिन व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए कहे। पूज्य श्री ने कहा कि अगर हम सहज रहना चाहते हैं और सहज जीना चाहते हैं तो हमारे पास इस कलियुग के मल को काटने और धोने का एकमात्र साधन श्री राम कथा ही है।
चतुर्थ दिवस का प्रारम्भ प्रभु राम-मां जानकी विवाह आनन्दोत्सव के समापन और प्रभु के वन गमन की यात्रा के साथ हुआ। धरती के भार को उतारने के लिए, संसार के कल्याण और अधर्म को मिटाने प्रभु वन गमन की यात्रा पर जाते हैं। मां जानकी, महाराज लक्ष्मण के साथ प्रभु वन में पहुंचते हैं, वहां उनकी मुलाकात निषाद राज से होती है।
प्रभु निषादराज से गंगा पार जाने के लिए नाव मांगते है, लेकिन केवट नाव लेकर नहीं आते, कहते है हमें आप का भेद मालूम है। इसके उपरान्त पूज्य श्री ने भजन चौपाई के माध्यम से केवट जी द्वारा प्रभु राम के पैर पखारने और गंगा पार करवाने के प्रसंग का मार्मिक वर्णन कहकर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।
व्यास पीठ के पूजन और आरती में राजेश बिरला, डॉ. अमिता बिरला, अपर्णा अग्रवाल व बिरला-अग्रवाल परिवार के अन्य सदस्य गण उपस्थित रहे। चौथे दिन के प्रवचन सत्र में बड़ी संख्या में विशिष्ट जन उपस्थित रहे। हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोतागण को महाराज जी के द्वारा गाए गए भजनों पर थिरकते नजर आए।
भक्त की कोई जाति नहीं होती
प्रभू श्री ने कहा कि भक्त की कोई जाति नहीं होती है। जाति पाति का भेद मनुष्य मात्र की दिमागी कसरत है। भगवान ने कभी भी, कहीं भी जात-पात भेद को बढ़ावा देने की बात नहीं कही है। श्रीरामचरितमानस में इस बात का बार-बार प्रमाण आया है। भगवान ने केवट जी, शबरी जी और निषाद जी को जो सौभाग्य प्रदान किया वह अपने आप में यह बताने के लिए पर्याप्त है कि भगवान कभी भी भगत में जात-पात का भेद नहीं देखना चाहते हैं।
सरकार अपने महल आ रहे, दीपावली मनाएं
पूज्य श्री ने कहा कि अवधपूरी के कण-कण में अनन्तकाल से अराध्य प्रभु राम विराजमान हैं, 22 जनवरी को सरकार अपने महल में वापस आ रहे हैं। राजा विक्रमादित्य के समय जैसा मंदिर था वैसा ही भव्य मंदिर बन रहा है। प्राण प्रतिष्ठा के मंगल अवसर पर ठाकुर जी पूजा कर घर में दीपावली मनाएं।