जकार्ता। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने कहा है कि सरकार ने वर्ष 2024 में आपूर्ति बढ़ाने के उद्देश्य से भारत तथा थाईलैंड के साथ चावल के आयात का समझौता सुरक्षित कर लिया है।
इंडोनेशिया की खाद्यान्न खरीफ एजेंसी- बुलॉग ने भारत से 10 लाख टन चावल के आयात हेतु एक आरंभिक करार पर हस्ताक्षर किया है जबकि थाईलैंड से 20 लाख टन चावल की खरीद का समझौता किया गया है।
राष्ट्रपति के अनुसार यद्यपि इंडोनेशिया में शीर्ष लाइन महंगाई की दर नीचे है लेकिन इस बात की आशंका बनी हुई है कि आगामी महीनों में खाद्य महंगाई बढ़ सकती है।
आयात के जरिए इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों को नियंत्रित रखने में सहायता मिल सकती है। राष्ट्रपति के मुताबिक खाद्य महंगाई के प्रति सरकार की चिंता बनी रहेगी। चालू वर्ष के दौरान सुपर अल नीनो के प्रकोप से धान-चावल के घरेलू उत्पादन में गिरावट आ गई और वर्ष 2024 में भी उत्पादन के सामान्य स्तर पर पहुंचने की संभावना नहीं है।
इसे देखते हुए सरकार एहतियाती कदम उठा रही है और पहले से ही चावल के आयात में करार को सुरक्षित करने पर जोर दे रही है।
भारत और थाईलैंड दुनिया के दो सबसे अग्रणी चावल निर्यातक देश हैं और इंडोनेशिया ने अगले वर्ष की आपूर्ति के लिए इन दोनों देशों से कुल मिलाकर 30 लाख टन चावल के आयात का सौदा पक्का कर लिया है।
इसके फलस्वरूप वर्ष 2024 में जब भी जरूरत पड़ेगी तब इन देशों से चावल का आयात आरंभ किया जा सकेगा। इंडोनेशिया एक बड़ी आबादी वाला देश है और वहां चावल का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है।
इस वर्ष अल नीनो मौसम चक्र के कारण वहां धान की फसल कमजोर रहने की संभावना है जिससे चावल के उत्पादन में कमी आएगी। उधर थाईलैंड के चावल निर्यातक संघ का कहना है कि इंडोनेशिया द्वारा 20 लाख टन चावल के आयात का करार किए जाने से घरेलू बाजार भाव तेज होने लगा है।
वहां अल नीनो के प्रकोप से धान का उत्पादन भी 6 प्रतिशत घटने का अनुमान लगाया जा रहा है। वहां अल नीनो के प्रकोप से धान का उत्पादन भी 6 प्रतिशत घटने का अनुमान लगाया जा रहा है जिससे चावल के दाम में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रह सकता है।