नई दिल्ली। बड़े फूड चेन कंपनियों से टैक्स अधिकारियों ने उनके मेन्यु प्राइस को लेकर जानकारी मांगी है। उनसे पूछा गया है कि 15 नवंबर को जीएसटी टैक्स स्लैब में बदलाव के पहले और बाद में उनके यहां फूड आइटम्स के दाम क्या थे।
टैक्स डिपार्टमेंट ने यह कदम इस संबंध में आ रही शिकायतों के बाद उठाया है। सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त होना चाहती है कि रेस्तरां में खाने पर कम हुए टैक्स स्लैब का फायदा कंस्यूमर्स को हो रहा है या नहीं।
नैशनल रेस्तरां असोसिएशन ऑफ इंडिया ने बताया कि वे जल्द ही प्राइस कट को लेकर विज्ञापन जारी करेंगे। स्टेट जीएसटी अथॉरिटी ने भी फोन कॉल कर रेस्तरां मालिकों से इस बारे में कई सवाल पूछे हैं।
टैक्स अधिकारियों द्वारा पूछे गए सवालों की लिस्ट देखी है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह एक्सरसाइज डेटा इकट्ठा करने के लिए की गई है।
इस बारे में मैकडॉनल्ड के प्रवक्ता ने बताया, ‘कई रेस्तरां असोसिएशन और ऑर्गनाइज्ड सेक्टर के रेस्तरां मालिकों संबंधित अथॉरिटीज से जीएसटी लागू करने की प्रक्रिया पर जानकारी मांगी गई है।’
सेंट्रल बॉर्ड ऑफ एक्साइज ऐंड कस्टमस के चेयरमैन वनाजा सर्ना ने बताया, ‘हम इस संबंध में उचित विवरण प्रस्तुत करने की प्रक्रिया में हैं।’उन्होंने बताया कि रेस्तरां मालिकों और कंपनियों से कंस्यूमर्स को टैक्स कट का फायदा देने को कहा है।
15 नवंबर को गुवाहटी में जीएसटी काउंसिल की बैठक में सभी तरह के रेस्तरां को 12% और 18% के स्लैब से निकालकर 5 पर्सेंट के दायरे में लाया गया था। साथ ही रेस्तरां मालिकों का टैक्स इनपुट क्रेडिट नहीं देने का फैसला भी लिया था।
इसके अलावा फूड आइटम पैक कराने और डिलिवरी कराने पर भी 5 पर्सेंट टैक्स भी लागू किया गया था। इसके बाद कई रेस्तरां ने इनपुट टैक्स क्रेडिट का फयदा न देने की वजह से अपने मेन्यु प्राइस में दाम बढ़ा दिए।
इसके अलावा बढ़े हुए प्राइस के लिए ‘प्राइस अजस्टमेंट’ की बात कही जा रही है। मैकडॉनल्ड और स्टारबक्स जैसे ब्रैंड ने भी अपने कुछ प्रॉडक्ट के बेस प्राइस में बढ़ोतरी की है।