भारतीय जनता पार्टी से चार दशकों से भी अधिक समय तक जुड़े रहकर और लगातार तीन बार पार्टी के विधायक रहने के बावजूद भी जब इस बार भवानी सिंह राजावत को मांगे जाने पर भी लाडपुरा विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने अंततः पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया है। अब वे अपनी पूर्व की घोषणा के अनुरूप इस विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। वे कहते हैं कि पिछले पांच सालों में जनता और जनप्रतिनिधि के बीच जो खाई बनी है, उसे पाटने के लिए वे एक बार फिर बार फिर चुनाव लड़ रहे रहे हैं ताकि जनता की आवाज को जरूरी जनमंच पर उठा सकें।
-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Rajawat’s rebellion: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भवानी सिंह राजावत का भाजपा से साथ छूट गया और उन्होंने सोमवार को पार्टी से बगावत करके निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। श्री राजावत ने अपना चार दशकों पुराना नाता छूटने पर गहरा अफसोस तो जताया, लेकिन कहा कि कार्यकर्ताओं और जनता के मान सम्मान के लिए यह उनकी अपनी लड़ाई है और इसीलिए वे चुनाव मैदान में उतरे हैं।
वे जनप्रतिनिधि हैं और जनता से जुड़े रहकर ही जनता की समस्याओं को समझ कर उन्हें हर मंच से उठाना चाहते हैं। इसलिए एक बार फिर जनता के बीच हैं। श्री राजावत ने सोमवार को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कोटा जिले की लाडपुरा विधानसभा सीट से अपना दूसरा नामांकन भरा है। इसके पहले वे बीते शनिवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल कर चुके थे।
तब श्री राजावत ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा था कि यदि रविवार शाम तक भाजपा नेतृत्व ने लाडपुरा विधानसभा सीट से प्रत्याशी को नहीं बदला तो वे सोमवार को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल करेंगे। पार्टी ने शनिवार को उनके दावे को नकारते हुए अपनी मौजूदा विधायक श्रीमती कल्पना देवी को एक बार फिर से लाडपुरा से अपना प्रत्याशी घोषित किया है तो उन्होंने अपनी घोषणा के अनुसार सोमवार को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना दूसरा नामांकन पर्चा दाखिल किया है।
श्री राजावत वर्ष 2003 से इस विधानसभा सीट पर लगातार 15 साल तक विधायक रहे हैं। वर्ष 2003 में पहली बार यहां से विधायक चुने जाने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने उन्हें अपना संसदीय सचिव (जनसंपर्क विभाग) बनाया था। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के रूप में लाडपुरा विधानसभा सीट से अपना आखिरी चुनाव वर्ष 2013 में जीता था। पिछले विधानसभा चुनाव में वर्ष 2018 में पार्टी ने उनके स्थान पर कोटा के पूर्व राजपरिवार की सदस्य श्रीमती कल्पना देवी को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था।
तब श्री राजावत को कहा गया था कि कोटा का पूर्व राजपरिवार पहली बार पार्टी से जुड़ रहा है, इसलिए वे अपनी दावेदारी छोड़ दें और श्रीमती कल्पना देवी को पार्टी के प्रत्याशी के रूप में स्वीकार करें। इसके बारे में वे पूर्व में भी कह चुके हैं कि उन्होंने इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के आग्रह को मानते हुए कोटा के पूर्व राजपरिवार का भारतीय जनता पार्टी में आगमन को शुभ संकेत मानकर व्यक्तिगत हित का बलिदान करके पिछले विधानसभा चुनाव में श्रीमती कल्पना देवी का भरपूर सहयोग एवं समर्थन किया था।
श्री राजावत का कहना है कि उनका यह बलिदान सार्थक साबित नहीं हो सका है। राजमहलों में रहने वाली की अभ्यस्थ श्रीमती कल्पना देवी इन बीते पांच सालों में कभी जनता के बीच नहीं आई, न ही उनके दुख-दर्द की भागीदार बनी, जिसके कारण एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि के रूप में उनकी जनता और पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी दूरियां बढ़ी है। जनता और जनप्रतिनिधि के बीच की इस दूरी को पाटने के लिए ही वे इस अपेक्षा के साथ एक बार फिर से चुनाव मैदान में उतरे हैं कि जनता का उन्हें भरपूर सहयोग मिलेगा।
श्री राजावत सोमवार को जब अपना निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पर्चा दाखिल करने गए, तब उनके साथ लोकेंद्र सिंह राजावत, हितेंद्र शर्मा, योगेन्द्र नन्दवाना, राजकुमार उदयवाल भी मौजूद थे, जो स्वयं भी इस विधानसभा चुनाव में लाड़पुरा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन न केवल उनकी बल्कि तीन बार के विधायक भवानी सिंह राजावत की दावेदारी को ठुकराने के बाद सोमवार उनके साथ पर्चा भरने के लिए कोटा कलेक्ट्री पहुंचे।
इस अवसर पर लोगों को सम्बोेधित करते हुए पूर्व विधायक राजावत ने कहा कि पार्टी से अलग होने का उन्हें बेहद दुख है, लेकिन 40 साल के राजनैतिक जीवन में इतना अपमान उनका कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि-” मैं विधायक के रूप में लगातार 15 वर्षों तक हर सुख- दुख और संकट में जनता की सेवा ईमानदारी से करता रहा और पिछले पांच वर्षों में भी विधायक नहीं होने के बावजूद भी भाजपा, कांग्रेस व अन्य राजनैतिक दल के कार्यकर्ताओं की बात बिना भेदभाव एवं पक्षपात के निष्पक्ष रूप से करता रहा।
लाडपुरा की जनता को मैनें भगवान मानकर पूजा है और इसीलिए सर्वे में मैं टाॅप पर था, लेकिन आलाकमान ने इसके बावजूद श्रीमती कल्पना देवी को प्रत्याशी बना दिया। अब मैं निर्दलीय रूप में जनता का प्रत्याशी बनकर चुनाव मैदान में डटा रहूंगा।”