कोटा। खाने में स्वाद बढ़ाने के काम आयने वाला लहसुन इन दिनों चीन की मुश्किल बढ़ा रहा है। भारत से मिल रही चुनौती ने चीन की नींद उड़ा दी है। लहसुन के उत्पादन और उसके निर्यात में चीन का दबदबा है, लेकिन बीते कुछ समय से भारत उसके लिए चुनौती खड़ा कर रहा है।
भारत का लहसुन ट्रेड लगातार बढ़ रहा है, जिसकी वजह से चीन पर दबाव बढ़ता जा रहा है। भारत का लहसुन एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है, जो चीन को फूटी आंख नहीं भा रहा है। भारत का बढ़ता कारोबार चीन की परेशानी बढ़ा रहा है।
लहसुन उत्पादन से लेकर उसके निर्यात में चीन की एकाधिकार है। लहसुन के कुल उत्पादन में चीन की भूमिका 80 फीसदी है। वहीं कुछ साल पहले तक चीन दुनिया के कुल एक्सपोर्ट का 80% लहसुन निर्यात करता था, हालांकि बीते कुछ सालों में इसमें 20 से 25 फीसदी की कमी आई है । इस कमी में भारत एक बड़ा कारण बन रहा है।
दरअसल भारत ने लहसुन के एक्सपोर्ट को बढ़ाया है। भारत के लहसुन एक्सपोर्ट में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में हल्दी, लहसुन और धनिया के एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी हुई। लहसुन के एक्सपोर्ट में 159% का उछाल आया और यह 57,346 टन पर पहुंच गया।
चीन में लहसुन की पैदावार में 20 से 25 फीसदी की कमी आई। लहसुन उत्पादन में 25% तक की गिरावट दर्ज की गई है, जिसका असर निर्यात पर भी पड़ा। वहीं उत्पादन कम होने के चलते चीन के लहसुन की कीमत में बढ़ोतरी हुई। जिसके कारण पश्चिमी एशियाई और अफ्रीकी देशों में चीन के बजाए लहसुन के लिए भारत से संपर्क करना शुरू किया।
अच्छी क्वालिटी और कम रेट की वजह से भारत के लहसुन बाकी देशों के बीच पॉपुलर हो रहे हैं, जो चीन के लिए चिंता का कारण बन रहे हैं। मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल और वियतनाम में भारत के लहसुन की डिमांड बढ़ी है।
आपको बता दें कि भारत में करीब 32.7 लाख टन लहसुन का उत्पादन होता है, जबकि चीन में 2 से 2.5 करोड़ टन लहसुन का उत्पादन होता है। चीनी लहसुन का ग्लोबल मार्केट में रेट 1250 डॉलर प्रति टन है, जबकि भारत का लहसुन 450 से 1000 डॉलर प्रति टन तक मिलता है। ऐसे में भारत के लहसुन की डिमांड बढ़ रही है, जो चीन की टेंशन को बढ़ रहा है।