अब कारीगरों को मिलेगा प्रशिक्षण और रियायती दरों पर लोन

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पारंपरिक कौशल से जुड़े देश के लाखों परिवारों को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उपहार

नई दिल्ली। Pradhan Mantri Vishwakarma Yojana: विश्वकर्मा जयंती और अपने जन्मदिन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पारंपरिक कौशल से जुड़े देश के लाखों परिवारों को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उपहार दिया। पारंपरिक कारीगरों को प्रशिक्षण, टूलकिट और तीन लाख रुपये का ऋण उपलब्ध कराने वाली इस योजना का शुभारंभ करते हुए पीएम ने कहा कि देश में आज वह सरकार है, जो वंचितों को वरीयता देती है।

पीएम स्वनिधि सहित अन्य गरीब हितकारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए बोले- जिसको कोई नहीं पूछता, उसका सेवक बनकर गरीब का बेटा मोदी आया है। पीएम मोदी ने रविवार को द्वारका स्थित नवनिर्मित इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर यशोभूमि और मेट्रो स्टेशन का उद्घाटन करने के साथ ही पीएम विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया। भव्य कन्वेंशन सेंटर के निर्माण का श्रेय इसके कारीगरों को विश्वकर्मा के रूप में देते हुए उन्होंने कहा कि हाथ के हुनर से, औजारों से, परंपरागत रूप से काम करने वाले लाखों परिवारों के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना उम्मीद की एक नई किरण बनकर आ रही है।

विश्वकर्मा को रीढ़ की हड्डी के समान बताते हुए बोले कि दुनिया कितनी भी आगे बढ़ जाए, टेक्नोलाजी कहीं भी पहुंच जाए, लेकिन इनकी भूमिका, इनका महत्व हमेशा रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार विश्वकर्मा भाई-बहनों का सम्मान बढ़ाने, उनका साम‌र्थ्य और समृद्धि बढ़ाने के लिए एक सहयोगी बनकर पास आई है।

अभी इस योजना में 18 अलग-अलग तरह का काम करने वाले विश्वकर्मा साथियों पर फोकस किया गया है। शायद ही कोई गांव ऐसा होगा कि जहां इस 18 प्रकार के काम करने वाले लोग न हों। इस योजना पर सरकार अभी 13 हजार करोड़ रुपये खर्च करने वाली है।

पीएम मोदी ने लक्षित वर्ग को दिया संदेश
प्रधानमंत्री ने लक्षित वर्ग को यह संदेश देने का भी प्रयास किया कि उनकी सरकार गरीबों और वंचितों के हित में किस तरह काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आज देश में वो सरकार है, जो वंचितों को वरीयता देती है। ये हमारी सरकार ही है, जो एक जिला, एक उत्पाद योजना के माध्यम से हर जिले के विशेष उत्पादों को बढ़ावा दे रही है। हमारी सरकार ने ही पहली बार रेहड़ी-पटरी-ठेले वालों को पीएम स्वनिधि के तहत मदद की है, बैंक के दरवाजे उनके लिए खोल दिए हैं। ये हमारी ही सरकार है, जिसने आजादी के बाद पहली बार बंजारा और घुमंतू जनजातियों की परवाह की। ये हमारी ही सरकार है, जिसने आजादी के बाद पहली बार दिव्यांगजन के लिए हर स्तर, हर स्थान पर विशेष सुविधाएं विकसित की हैं।

हाथ के हुनर की दुनिया में बढ़ रही मांग
मोदी ने कहा- ‘जिसे कोई नहीं पूछता, उसके लिए गरीब का ये बेटा मोदी, उसका सेवक बनकर आया है। सबको सम्मान का जीवन देना, सभी तक सुविधा पहुंचाना, ये मोदी की गारंटी है।’ विदेश का एक संस्मरण सुनाते हुए पीएम मोदी ने कहा- ‘हाथ के हुनर की दुनिया में मांग बढ़ रही है। बड़ी-बड़ी कंपनियां भी अपने उत्पाद बनाने के लिए अपना काम दूसरी छोटी-छोटी कंपनियों को देती हैं। ये पूरी दुनिया में एक बहुत बड़ा उद्योग है। आउटसोर्सिंग का काम भी हमारे इन्हीं विश्वकर्मा साथियों के पास आए, आप बड़ी सप्लाई चेन का हिस्सा बनें, हम इसके लिए आपको तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

प्रशिक्षण के दौरान हर रोज 500 रुपये देगी सरकार
देशभर से 70 स्थानों से वर्चुअल माध्यम से जुड़े शिल्पकारों को पीएम ने बताया- ‘इस योजना के तहत प्रशिक्षण के दौरान हर रोज 500 रुपये भत्ता सरकार की तरफ से दिया जाएगा। आधुनिक टूलकिट के लिए 15 हजार रुपये का टूलकिट वाउचर मिलेगा। कारीगर जो सामान बनाएंगे, उसकी ब्रांडिंग और पैकेजिंग से लेकर मार्केटिंग में भी सरकार हर तरह से मदद करेगी। बदले में सरकार यह चाहती है कि टूलकिट उसी दुकान से खरीदें जो जीएसटी पंजीकृत है, कालाबाजारी नहीं चलेगी। दूसरा आग्रह य कि टूल्स मेड इन इंडिया ही होने चाहिए।

आपकी गारंटी मोदी देता है
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर आप अपना कारोबार बढ़ाना चाहते हैं तो शुरुआती पूंजी की दिक्कत ना आए, इसका भी ध्यान सरकार ने रखा है। इस योजना के तहत बिना बैंक गारंटी के तीन लाख रुपये ऋण मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब बैंक आपसे गारंटी नहीं मांगता है तो आपकी गारंटी मोदी देता है। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इस ऋण का ब्याज बहुत ही कम रहे। सरकार ने प्रविधान किया है कि पहली बार में अगर आपकी ट्रेनिंग हो गई, आपने नए टूल ले लिए तो पहली बार आपको एक लाख रुपये तक ऋण मिलेगा। जब आप ये चुका देंगे तो फिर दो लाख रुपये का ऋण और मिलेगा।

विश्वास भरे बोल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत अब रुकने वाला नहीं है। हमें चलते रहना है, नए लक्ष्य बनाते रहना है और उन नए लक्ष्यों को पाकर के ही चैन से बैठना है। हम सभी का परिश्रम और परिश्रम की पराकाष्ठा देश को 2047 में दुनिया के सामने डंके की चोट पर विकसित भारत के रूप में खड़ा कर देगी, ये संकल्प लेकर चलना है। ये समय हम सभी के लिए जुट जाने का समय है।