मीडिया को नसीहत की नहीं, कोचिंग संचालकों पर लगाम लगाने की जरूरत

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टैगोर हॉल में एक प्रशासनिक अधिकारी की छात्रों में तनाव कम करने की दृष्टि से लिखी गई पुस्तक के विमोचन के मौके पर उस कोचिंग संस्थान के संचालक का मुस्कुराता चेहरा भी नजर आ रहा है, जिसके छात्रों के सबसे अधिक आत्महत्या के मामले सामने आते रहे हैं।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Coaching Student Suicide Case: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कोटा में कोचिंग छात्रों की आत्महत्या करने या उनकी संदिग्ध मौत होने के बढ़ते मामले में चिंता जताए जाने के बावजूद कोटा का जिला प्रशासन यहां के कोचिंग संस्थानों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय मीडिया को कोचिंग छात्रों की मौत या आत्महत्या की खबरों को जारी करने से पहले संयम बरतने की बिन मांगी सलाह बांट रहा है।

कोटा में कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों और पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक में पुलिस अधीक्षक (शहर) शरद चौधरी मीडिया को संयम बरतते की सलाह देते हुए कह रहे हैं कि कोचिंग छात्रों की मौत के मामलों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश नहीं किया जाना चाहिए।

मीडिया से अनुरोध के रूप में यह भी अपेक्षा की गई कि वह विद्यार्थियों से संबंधित तनाव या आत्महत्या के प्रकरणों में तरीकों का उल्लेख नहीं किया जाये तथा बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत नहीं किया जाये।

यानी कोटा में उत्तर प्रदेश के रामपुर से आये एक कोचिंग छात्र मनजोत सिंह की संदिग्ध हालत में मौत के मामले को पहले आत्महत्या बताने कोशिश करने के बाद जब मनजोत के पिता हरजीत सिंह छाबड़ा और कोटा के सिख समुदाय के एकजुट होकर इस से आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या का स्पष्ट मामला होने का आरोप लगाने और इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक ले जाने की चेतावनी दी।

इसके बाद दबाव में आकर हत्या का मामला दर्ज करने वाले पुलिस अफसर कोचिंग संस्थानों, हॉस्टल संचालकों, मैस मालिकों की ऎसे मामलों में भूमिका की सच्चाई सामने लाने के बजाये मीडिया से संयम बरतने को कह रहे हैं।

यदि कोटा का सिख समुदाय पूरी दृढ़ता और आक्रोश के साथ अपनी आवाज को बुलंद नहीं करता और बाबा लक्खा सिंह जैसे प्रतिष्ठित एवं गणमान्य नागरिक सक्रिय नहीं होते तो पुलिस जांच पुराने ढर्रे पर ही चल रही होती और ना ही इस मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी को बदला जाता है।

पुलिस जब सही राह पर थी तो फिर जांच अधिकारी को बदलने की कहां जरूरत थी? मीडिया को नसीहत देने वाली पुलिस पांच दिन बीत जाने के बाद भी कोचिंग छात्र मनजोत सिंह की संदिग्ध मौत के बाद उठे उन सवालों का जवाब खोज पाने में विफल रही है। जिनके जवाब दिवंगत छात्र के पिता और सिख समुदाय के लोगों ने पुलिस अधिकारियों से पूछे थे कि कैसे आत्महत्या करने से पहले कोई छात्र अपने ही मुंह पर पॉलिथीन की थैली लपेट सकता है।

मरने वाला खुद अपने ही हाथ कैसे पीछे बांध सकता है? वह ऐसी ही इबारत में कमरे की दीवार पर लिखे कागज चिपका सकता है, जो उसकी अपनी हस्तलिपि है ही नहीं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में बाकायदा मीडिया को कोटा में पिछले छह माह में 20 कोचिंग छात्रों के आत्महत्या या संदिग्ध मौत के मामले पर बात की।

किसी के बिना पूछे स्वयं पहल कर उन्होंने एक कागज पर लिखकर लाए थे या लिखकर उन्हें जो दिया गया था, को पढ़कर छह माह में 20 मौत का आंकड़ा बताया। जब प्रदेश के मुख्यमंत्री ही कोटा में कोचिंग छात्रों की मौतों के मामले को लेकर इतने संजीदा हैं, तो कोटा के अधिकारी ऐसे मामलों में भी दूसरों को नसीहत देकर हंसी में टालने के बजाय गंभीरता से क्यों नहीं ले रहे हैं?

हालांकि कोटा में कोचिंग छात्रों की मौतों के मामलों में मुख्यमंत्री श्री गहलोत खुद व्यथित नजर आए और उन्होंने कहा भी कि ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए। बच्चों पर मानसिक रूप से दबाव नहीं डालना चाहिए।

उन्होंने हौसला अफजाई करने की दृष्टि से खुद का उदाहरण दिया क वह तो स्वयं डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन कोशिश करने के बावजूद भी नहीं बन पाए तो समाजसेवा का रास्ता चुना। राजनीति में आए और आज मुख्यमंत्री के रूप में मैं आपके सामने हूं।

मैंने भी कभी नहीं सोचा था कि मैं तीन बार मुख्यमंत्री बनूंगा। तीन बार केंद्रीय मंत्री बनूंगा। तीन बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनूंगा। इसलिए भविष्य में जो तय होना है, वह होता ही है। मानसिक तनाव में नहीं आयें।

उधर जब जयपुर में मुख्यमंत्री ने कोटा में कोचिंग छात्रों की मौतों पर चिंता जताई तो आनन-फ़ानन में स्थानीय प्रशासन भी सक्रिय हो गया और कोचिंग संचालकों के साथ एक बैठक भी बुला ली और लगे हाथ राज्य सरकार की पहले ही जारी गाइडलाइन को सख्ती से पालना करने की बात कहकर मीडिया को संयम बरतने की नेक सलाह दे डाली।

वैसे असल में शनिवार को पहले से ही तय कार्यक्रम के अनुसार कलक्ट्रेट सभागार में अतिरिक्त कलक्टर (शहर) बृजमोहन बैरवा की विद्यार्थियों में तनाव कम करने एवं प्रेरणादायक 25 कहानियों का संग्रह ’हौसलों की उडान’ पुस्तक का विमोचन किया जाना था।

लेकिन जैसे ही जब जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोटा में 6 महीने में 20 कोचिंग छात्रों की मौत का लिखित कागज पढा तो आनन-फानन में इस मौके पर टैगोर हॉल में मौजूद कोचिंग संचालकों और हॉस्टल मालिकों की बैठक भी बुला ली जो पहले से ही पुस्तक के विमोचन के मौके पर मौजूद थे।