जयपुर। राजस्थान विधानसभा के मौजूदा सत्र की कार्यवाही 2 अगस्त से फिर शुरू होगी। इस दौरान सरकार किसानों के लिए कर्ज राहत आयोग गठन सहित 4 और बिल लेकर आने वाली है।
राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग विधेयक- 2023 आने के बाद बनने वाला आयोग किसानों के ऋण से संबंधित विवादों को निपटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा इसी सत्र में नाथद्वारा मंदिर संशोधन विधेयक-2023, राजस्थान विद्युत शुल्क विधेयक-2023 और महात्मा गांधी दिव्यांग विश्वविद्यालय विधेयक-2023 भी लाए जाएंगे।
कर्ज माफी पर देंगे सुझाव, सेटलमेंट भी कर सकेंगे: आयोग बनने के बाद बैंक और कोई भी वित्तीय संस्था किसी भी कारण से फसल खराब होने की स्थिति में कर्ज वसूली का दबाव नहीं बना सकेंगे। किसान फसल खराब होने पर कर्ज माफी के लिए आयोग में आवेदन कर सकेंगे।
यही आयोग सरकार को कर्ज माफी या सहायता के लिए सुझाव देगा। सुनवाई के दौरान यदि आयोग पाता है कि किसान किसी भी सूरत में कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं है तो उसे वह संकटग्रस्त किसान घोषित कर सकता है।
ऐसे में बैंक उससे जबरन वसूली नहीं कर पाएगा। आयोग को कोर्ट जैसे पावर दिए जाने के प्रावधान भी इस बिल में रखे गए हैं। ऐसे में संकटग्रस्त घोषित किसान के लिए आयोग बैंकों से लिए गए कर्ज को सेटलमेंट के आधार पर चुकाने की प्रक्रिया भी तय कर सकेगा। इसके लिए आयोग बैंक को भी सुनवाई के लिए बुलाएगा और लोन की किश्तों को आगे बढ़ाने या ब्याज कम करने जैसे फैसलों पर भी बात कर सकेगा।
किसान कर्ज राहत आयोग का कार्यकाल 3 साल का होगा। आयोग के अध्यक्ष और सदस्य का कार्यकाल भी 3 साल का होगा। सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा भी सकेगी और किसी भी सदस्य को हटा भी सकेगी। अध्यक्ष हाईकोर्ट के जज हाेंगे। इनके अलावा 5 अन्य सदस्य होंगे।
आयोग में एसीएस या प्रमुख सचिव रैंक पर रहे रिटायर्ड आईएएस, जिला और सेशन कोर्ट से रिटायर्ड जज, बैंकिंग सेक्टर में काम कर चुके अफसर और एक एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट को सदस्य बनाया जाएगा। सहकारी समितियों के एडिशनल रजिस्ट्रार इसके पदेन सचिव होंगे।