बड़बोले गुढ़ा की वकालत के लिए हास्यास्पद जातीय राजनीति!

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मार्शल को बुलाकर राजस्थान विधानसभा से राजेंद्र सिंह गुढ़ को बाहर निकालने का आदेश देते विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी।

विधानसभा में अपमान गुढ़ा का हुआ था या गुढ़ा ने अन्य जनप्रतिनिधियों का किया था

-कृष्ण बलदेव हाडा-
लोकतंत्र का मंदिर माने जाने वाली विधानसभा में एक बर्खास्त मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा के विधानसभा अध्यक्ष से बहसबाजी और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल सहित अन्य विधायकों के साथ दुर्व्यवहार की निंदनीय घटना के बाद इस घटना की गंभीरता को लिए बिना अब तक फ़िल्मों के बहिष्कार की राजनीति करते रहे कुछ तत्व अब इस मसले पर भी जातिवादी राजनीति करने पर उतर आए हैं और यह हास्यास्पद आरोप लगा रहे हैं कि राजेंद्र सिंह गुढ़ा को कांग्रेस पार्टी ने मंत्रिमंडल से हटा कर एक समाज विशेष को अपमानित किया है।

इसके विपरीत विभिन्न मीडिया संस्थानों की ओर से जारी किए गए वीडियो और फोटोग्राफ्स में यह स्पष्ट देखा जा सकता है कि किस तरह से सोमवार को राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद बर्खास्त सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा हंगामा करते हुए पहले सदन के बीच में पहुंचे और बाद में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के आसन के सामने पहुंचकर उनके साथ बहसबाजी करने लगे जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष बार-बार अपनी जगह पर जाने के लिए कहते रहे, लेकिन बीते कुछ सालों में बड़बोले नेता के रूप में अनर्गल प्रलाप करने की राजनीति करने के कारण अपनी अलग पहचान बनाने वाले राजेंद्र सिंह गुढ़ा इस अनुरोध की लगातार अनदेखी करते रहे।

उसके बाद जब नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल संसदीय मंत्री के रूप में राज्य सरकार की ओर से कुछ कहने के लिए खड़े हुए तो राजेंद्र सिंह गुढ़ा शांति धारीवाल की सीट के सामने पहुंच गए और बड़े ही असम्मानजनक तरीके से शांति धारीवाल को बोलने से रोकने के लिए उनकी सीट के सामने लगे माइक को नीचा कर दिया।

जब कांग्रेस पार्टी के कुछ विधायकों ने उनको ऐसा करने से रोकने की कोशिश की तो वे न केवल इन विधायकों बल्कि वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल के साथ भी हाथापाई करने पर उतर आए। इसके बाद जब राजेंद्र सिंह गुढ़ा मर्यादाहीनता की सारी सीमायें लांघ गए तो विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी पी जोशी ने मार्शल को बुलाकर गुढ़ा को न केवल विधानसभा के बाहर निकलवा दिया, बल्कि इस पूरे विधानसभा सत्र के लिए निलंबित कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम को घटते हुए सभी लोगों ने देखा है।

यह बात सर्वविदित है कि करीब साढ़े चार पहले अशोक गहलोत की सरकार के गठन और उसमें ताकतवर हैसियत के साथ शांति धारीवाल को नगरीय विकास मंत्री स्वायत्त शासन मंत्री बनाए जाने के बाद से ही राजेंद्र सिंह गुढ़ा लगातार शांति धारीवाल के खिलाफ मौके-बमौके विभिन्न मंचों से व्यक्तिगत रूप से निंदनीय टिप्पणियां करते रहे हैं।

खासतौर से उनके बुजुर्ग होने को लेकर निम्नस्तरीय भाषा का इस्तेमाल करते हुए टीका-टिप्पणी कर चुके हैं लेकिन सोमवार को उन्होंने राजस्थान विधानसभा में सारी हदें पार कर दी और वे मंत्री-विधायकों के साथ हाथापाई करने पर उतर आए।

बर्खास्त मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा की इन हरकतों के सार्वजनिक हो जाने के बावजूद कुछ ऐसे लोग हैं जो न केवल दर्जन भर लोगों की उपस्थिति में कोटा में नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल का पुतला फूंक रहे हैं और अपने आप को एक जाति विशेष का सरपरस्त होने की हर संभव कोशिश करते हुए मांग कर रहे है कि विधानसभा में राजेंद्र सिंह गुढ़ा का अपमान हुआ है इसलिए उनसे सार्वजनिक रूप से माफी मांगी जाए। अब कोई उनसे यह पूछे कि विधानसभा में अपमान गुढ़ा का हुआ था या गुढ़ा ने अन्य लोगों को अपमानित किया था?