‘जो खावेगा चूपड़ी-बहुत करेगा पाप’

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की वह कौन सी मजबूरी है जिनके चलते हुए वे अपने मंत्रिमंडल के सहयोगी प्रमोद जैन पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता गाहे-बगाहे प्रदर्शित करते रहते हैं। यह मजबूरी राजनीतिक है या चुनावी साल होने के कारण वित्तीय व्यवस्था से जुड़ी आर्थिक मजबूरी?

वरना क्या वजह हो सकती है कि पूरे राज्य में अवैध खनन को लेकर अक्सर मीडिया में हमेशा कटघरे में खड़े रहने के बावजूद खनन विभाग के मंत्री प्रमोद जैन को अपने मंत्रिमंडल से निष्कासित करना तो दूर, उनके खिलाफ कोई कार्यवाही तक नहीं करते। हालांकि अभी हाल ही में लगातार आरोप लगते रहने के कारण एवं खास तौर से सचिन पायलट के मुखर होने पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी सुबोध अग्रवाल को जरूर खनन विभाग के प्रधान सचिव पद से हटाकर मुख्यमंत्री ने जनता को ‘उपकृत’ किया है वरना तो भारी भीड़ के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए मुख्यमंत्री श्री गहलोत प्रमोद जैन के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जयपुर से दौड़े-दौड़े चले आते हैं।

राजस्थान में करीब साढ़े चार साल पहले अशोक गहलोत के नेतृत्व में तीसरी बार कांग्रेस सरकार बनने के बाद पिछले चार साल से लगातार कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व में अशोक गहलोत के दूसरे कार्यकाल में उनके वरिष्ठ मंत्री के रूप में सहयोगी रह चुके भरत सिंह कुंदनपुर खनन मंत्री के गृह जिले बारां सहित पूरे राजस्थान में अवैध खनन के मसले पर खनन मंत्री प्रमोद जैन की भूमिका और उनकी कथित मिलीभगत को लेकर सवालिया निशान खड़े करते हुए न केवल घेरते आ रहे हैं बल्कि प्रमोद जैन को अशोक गहलोत सरकार का सबसे भ्रष्टतम मंत्री तक करार दे चुके हैं।

अशोक गहलोत के राजनीतिक प्रतिद्वंदी सचिन पायलट ने अवैध खनन के मसले पर प्रदेश सरकार को घेरा है। हालांकि उनका मसला श्री भरत सिंह से अलग है क्योंकि श्री पायलट ने पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली भारतीय जनता पार्टी के शासन काल के समय खनन विभाग में हुये भ्रष्टाचार की अब तक जांच नहीं करवाने को लेकर मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप-प्रत्यारोप लगाए हैं। जबकि श्री भरत सिंह सीधे-सीधे मौजूदा सरकार के खनन मंत्री पर पुख्ता दलीलों के साथ आरोप जड़ते आ रहे हैं।

श्रीमती वसुंधरा राजे के पिछले शासनकाल के दौरान खानों के आवंटन को लेकर तब के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट सहित अन्य कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने तत्कालीन राज्य सरकार खासतौर पर व्यक्तिगत रूप से श्रीमती राजे पर कड़े प्रहार करते हुए जमकर आक्षेप लगाए थे, जिनमें खनन माफियाओं से सांठगांठ कर प्रदेश भर में नदियों से बजरी, पहाड़ी क्षेत्रों से पत्थर-पटि्टयां आदि निकाले जाने के लिए समानांतर व्यवस्था चलाने का आरोप शामिल था।

राज्य सरकार को इससे भारी पैमाने पर राजस्व का नुकसान हो रहा है। तब अशोक गहलोत ने यहां तक कहा था कि यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आएगी तो इन सभी गड़बड़ घोटालों का पर्दाफाश करते हुए दोषियों से सख्ती से निपटा जाएगा। इसके विपरीत जमीनी हकीकत यह है कि पिछले तकरीबन साढे चार सालों में ऐसी कोई कार्यवाही मौजूदा सरकार के शासनकाल के दौरान नहीं हुई और इसी को लेकर सचिन पायलट ने मुद्दा बना रखा है।

अब बात मौजूदा खनन मंत्री प्रमोद जैन की तो सत्ता पक्ष के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांगोद से विधायक श्री भरत सिंह कुंदनपुर पिछले चार सालों में खनन माफियाओं से गठजोड़ कर समानांतर व्यवस्था चलाने के लिए सीधे-सीधे आरोप प्रमोद जैन पर लगाते रहे हैं जो कभी अशोक गहलोत ने श्रीमती वसुंधरा राजे, उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों पर लगाए थे और तब उन्होंने सत्ता में आने के बाद आम जनता को ऐसे भ्रष्ट मंत्री के खिलाफ कार्यवाही करने का पुख्ता भरोसा दिलाया था।

परंतु अब जब श्री गहलोत के शासनकाल में उनकी ही पार्टी के वरिष्ठ विधायक श्री भरत सिंह उनकी अपनी सरकार के खनन मंत्री प्रमोद जैन पर खनन माफियाओं से खुला गठजोड़ करने के आरोप लगाकर इस सरकार के सबसे भ्रष्टतम मंत्री होने का तमगा उनके गले में डाल रहे हैं तो श्रीमती राजे के शासनकाल में ऐसे ही आरोप लगाकर पांच साल तक तिलमिलाते रहे अशोक गहलोत अपने ही मंत्री की कारगुजारी पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?

राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही जबरदस्त कलह को लेकर चिंतित कांग्रेस पार्टी के आलाकमान ने 26 मई को दिल्ली में एक अहम बैठक बुलाई थी, जिसमें हर स्थिति में इन दोनों नेताओं सहित राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को शामिल होना था। लेकिन न जाने ऐसा कौन सा वशीकरण है कि इतनी व्यस्तता के बावजूद श्री गहलोत ने न केवल बारां में प्रमोद जैन दंपति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दौड़ते-भागते चले आने का अपना कार्यक्रम बना लिया, बल्कि श्री रंधावा, श्री ड़ोटासरा और यहां तक कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को भी अपने साथ घेरकर ले आये।

यह दीगर बात है कि दिल्ली में होने वाली बैठक स्थगित हो गई वरना मुख्यमंत्री की तो पूरी तैयारी थी कि वे जयपुर से हेलीकॉप्टर से सीधे बारां जाएंगे और बाद में वहां से कोटा आकर अपने साथी-सहयोगियों के साथ दिल्ली जाएंगे लेकिन ऐन मौके पर बैठक ही स्थगित हो गई। अशोक गहलोत के बारां में सामूहिक विवाह सम्मेलन में शामिल होने के कार्यक्रम को लेकर सीधे-सीधे उनकी छिछेलादारी श्री भरत सिंह ने की है और मुख्यमंत्री को किया भी व्यक्ति के किये पापों को गिनाने वाला संत कबीर दास जी का एक दोहे का भी उल्लेख किया है कि-” आधी व रूखी भली, सारी तो संताप, जो खावेगा चूपड़ी बहुत करेगा पाप।”

मुख्यमंत्री को भेजे अपने पत्र में श्री भरत सिंह ने मुख्यमंत्री से कहा है कि उन्होंने प्रमोद जैन के इस कार्यक्रम में शामिल होकर यह साबित कर दिया है कि ईमानदारी की दुहाई देने वाले मुख्यमंत्री स्वयं खुलेआम भ्रष्टाचार को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। श्री भरत सिंह ने श्री गहलोत को याद दिलाया कि वर्ष 2019-20 को वर्तमान सरकार का प्रथम बजट पेश करते हुए उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा था कि-” प्रदेश में भ्रष्टाचार की गंगा किसने बहाई है?

भ्रष्टाचार की इस बहती गंगा में ईमानदार लोग भी भ्रष्ट हो गए हैं। ” श्री गहलोत ने इसी भाषण पर निशाना साधते हुए श्री भरत सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ बात करने वाले मुख्यमंत्री ने प्रमोद जैन की ओर से आयोजित समारोह में भाग लेकर कीर्तिमान बना दिया है। ‘धन्य है राजस्थान के मुख्यमंत्री’- ऐसा श्री भरत सिंह का कहना है।