नई दिल्ली। उपभोक्ताओं के लिए दूध भले ही आवश्यक वस्तु की श्रेणी में हो, लेकिन यह फिलहाल आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में शुमार नहीं है।
इसी के चलते दुग्ध उत्पादकों और उपभोक्ताओं के हितों के मद्देनजर दूध को आवश्यक वस्तु अधिनियम की सूची में शामिल करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
दूध की मांग व आपूर्ति में असंतुलन होने की दशा में कभी उपभोक्ताओं को तो कभी दूध उत्पादकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। दूध को आवश्यक वस्तु की श्रेणी में रखने पर विचार किया जा रहा है।
दुग्ध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश बन गया है। इसके बावजूद दूध की मांग और आपूर्ति में कभी-कभी असंतुलन पैदा हो जाता है, जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है।
इससे दुग्ध उत्पादकों के साथ उपभोक्ताओं को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। केंद्रीय पशुधन और डेयरी मंत्रालय ने इस आशय का मसौदा तैयार किया है, जिसे सचिवों के अंतरमंत्रलयी समूह के पास विचार के लिए भेजा गया है।
सूत्रों के मुताबिक, सचिवों के समूह के फैसले के बाद दूध को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में लाना आसान हो जाएगा। इसके बाद दूध के मूल्य में असंगत तौर पर उतार-चढ़ाव को रोकने में मदद मिलेगी। हालांकि, दूध की आपूर्ति में इसे आवश्यक वस्तु माना जाता है।