हेलमेट चेकिंग के नाम पर पुलिस ने चांदी कूटी, वीडियो बनाने वाले पत्रकार को धमकी

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जब पुलिस की पैसा वसूली की वीडियो रिकॉर्डिंग का प्रयास कर रहा था तो चेकिंग कर रहे पुलिसकर्मियों के माथे पर बल पड़ गया और हेलमेट पहने होने के बावजूद ना सिर्फ चालान बनाया, बल्कि एक्टिवा गाड़ी को महावीर नगर थाने में जप्त करवा दिया। साथ ही वीडियो फोटो नहीं बनाने की धमकी दी।

ओम कटारा, वरिष्ठ पत्रकार-
Helmet Checking: हेलमेट चेकिंग अभियान के तहत शनिवार को कोटा में पुलिस ने जिस तरह आम जनता पर कहर बरपाया उसे लेकर यहां के नामी-गिरामी अखबारों ने एक लाइन भी नहीं छापी। जबकि यह अखबार जनता की मुखर आवाज बनने के दावे करते नहीं थकते।

नए कोटा में एलआईसी बिल्डिंग के पास चौराहे पर हेलमेट चेकिंग पर महावीर नगर पुलिस ने जमकर चांदी कूटी। महंगा पेट्रोल जलाकर दुपहिया वाहन से अपनी जिंदगी की गाड़ी चलाने वाले लोगों से पुलिस ने बेरहमी पूर्वक एक एक-एक हजार रुपए की वसूली की। यह संवाददाता जब पुलिस की पैसा वसूली की वीडियो रिकॉर्डिंग का प्रयास कर रहा था तो चेकिंग कर रहे पुलिसकर्मियों के माथे पर बल पड़ गया और हेलमेट पहने होने के बावजूद ना सिर्फ चालान बनाया बल्कि एक्टिवा गाड़ी को महावीर नगर थाने में जप्त करवा दिया। साथ ही वीडियो फोटो नहीं बनाने की धमकी दी।

याद रहे यह वही महावीर नगर पुलिस थाना है जहां पिछले बीजेपी शासन के दौरान रामगंज मंडी की तत्कालीन दलित वर्गीय बीजेपी की महिला विधायक चंद्रकांता मेघवाल और उनके पति के साथ थाने में निर्मम तरीके से मारपीट की गई थी। यह मामला काफी चर्चित रहा था और बीजेपी कार्यकर्ताओं में भयंकर गुस्सा व्याप्त हो गया था। पुलिस पर कार्यवाही के उलट इस मामले में महिला विधायक को आरोपी बना दिया गया था।

इस पुलिस थाने में फरियादियों की कोई सुनवाई नहीं होती। मोबाइल चोरी गुम होने का पता चलने के बावजूद बरामदगी के लिए वर्षों तक मामले पेंडिंग पड़े रखते हैं। कोटा उत्तर विधायक यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कोटा शहर को ट्रैफिक फ्री कराने और आमजन को पुलिस की लूट से बचाने के लिए हजारों करोड़ रुपए लागत से प्लाई ओवर बनवाए हैं। लेकिन पुलिस भी दुपहिया वाहन चालकों से पैसा वसूलने के लिए गली निकाल ही लेती है। जहां भी मौका मिलता है जनता पर अत्याचार करने से नहीं चूकती।

शनिवार को एलआईसी बिल्डिंग के पास बॉर्डर चौराहे पर पुलिस तानाशाही का यह आलम था कि नजदीकी कॉलोनी में रहने वाला कोई व्यक्ति अपनी पत्नी बच्चे के साथ दुपहिया वाहन पर सवार हो सब्जी खरीदने के लिए भी निकला हो तो उसका ₹1000 का जुर्माना चालान काट दिया गया। बेचारे पीड़ित लोग पुलिसकर्मियों के आगे दयनीय तरीके से गिड़गिड़ाते रहे। लेकिन उन पर तनिक दया नहीं की गई। पुलिस को तो सिर्फ अपना पैसा वसूली का टारगेट पूरा करने पर ध्यान था।

स्थिति यह थी कि कोई व्यक्ति हेलमेट पहन कर भी निकल रहा था तो पुलिस वाले गिड़गिड़ा रहे थे कि लगता है लोग सतर्क हो गए हैं। अब पैसा वसूली का टारगेट कैसे पूरा होगा। पुलिस के इस रवैया से राज्य की गहलोत सरकार के प्रति भी जनता का नकारात्मक मैसेज जा रहा है। हेलमेट के बहाने ₹1000 जुर्माना मायने रखता है। वैसे ही इस भयंकर महंगाई के दौर में आदमी का जीना मुश्किल हो रहा है। उस समय किसी के जेब में ₹1000 नहीं हो तो गाड़ी जप्त। पुलिस थाने के चक्कर पर चक्कर और ₹5000 बिना गाड़ी नहीं छूटे।