सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड: पांच साल में निवेशकों को 110 फीसद रिटर्न

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नई दिल्ली। मोदी सरकार का ‘सस्ता सोना’ यानी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना में निवेश करने वालों का पैसा पांच साल में दोगुना हो गया है। वर्ष 2017-18 में जारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड शृंखला-1 की समय पूर्व निकासी अवधि 12 मई 2023 को पूरी हो गई।

भारतीय रिजर्व बैंक ने उस वक्त स्वर्ण बांड की कीमत 2,901 रुपये प्रति ग्राम तय की थी, जो अब बढ़कर 6115 रुपये हो गई है। इससे पांच साल के भीतर निवशेकों को 110 फीसद रिटर्न मिलेगा।

एसजीबी योजना के तहत परिपक्वता अवधि आठ साल की होती है, लेकिन पांच साल पूरा होने पर इसमें से राशि निकलने की छूट है। यह छूट जिस तारीख को ब्याज देय होता है, उसके अनुसार लागू होती है। इसके अनुसार 12 मई 2018 को जारी शृंखला-1 की समयपूर्व निकासी की तिथि 12 मई 2023 को पूरी हो रही है।

ऐसे तय होती है कीमत: आरबीआई के अनुसार, स्वर्ण बांड की कीमत निकासी की तारीख के पहले सप्ताह के दौरान सोने की औसत कीमत पर आधारित होती है। इस आधार पर 12 मई को समय पूर्व निकासी के लिए स्वर्ण बांड के दाम 6115 प्रति यूनिट तय किए गए हैं। यह दो से पांच मई के सप्ताह के लिए बंद सोने की कीमत के साधारण औसत पर आधारित होगी।

बॉन्ड के कैपिटल गेन पर कर नहीं: सरकारी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर 2.5 फीसद की सालान दर से ब्याज मिलता है। यह अर्ध-वार्षिक देय है। हालांकि, सॉवरने गोल्ड बॉन्ड से अर्जित ब्याज कर योग्य है लेकिन इन बॉन्ड को भुनाने से होने वाले कैपिटल गेन पर कोई कर नहीं लगता।

2021 में सबसे ज्यादा निवेश: आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में सबसे अधिक सॉवरने गोल्ड बॉन्ड में निवेश हुआ था और यह 32 टन के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच गया था। इसके बाद वित्त वर्ष 2022 में 27 टन के बराबर सॉवरने गोल्ड बॉन्ड की खरीदारी हुई।

क्या है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड: यह सरकार की ओर से जारी निवेश पत्र (बॉन्ड) है। इसकी शुरुआत 2015 में हुई थी। यह सोने में निवेश का विकल्प है। इसे सरकार की ओर से रिजर्व बैंक जारी करता है। इसकी खरीदारी म्यूचुअल फंड की तरह यूनिट में की जाती है। इसे बेचने पर सोना नहीं बल्कि उस समय उसके मौजूदा मूल्य के आधार पर राशि मिलती है। इसमें न्यूनतम एक ग्राम सोने के बराबर राशि निवेश कर सकते हैं।

निवेशकों में हड़बड़ी नहीं: आंकड़ों के मुताबिक अब तक कुल 62 बार गोल्ड बॉन्ड जारी किए जा चुके हैं। इनमें से 21 पांच साल की अवधि पूरी कर चुके हैं। इसके बावजूद निवेशकों ने इसमें से निकासी नहीं की है।