जयपुर। वसुंधरा राजे सरकार के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार के बहाने सचिन पायलट का अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन खत्म हो गया है। सुबह 11 बजे से 4 बजे तक शहीद स्मारक पर चले अनशन के बाद सचिन पायलट ने साफ कर दिया कि वह इस मुद्दे पर कायम रहेंगे।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार एक मुद्दा है और वह इससे लड़ते रहेंगे। पायलट ने यह भी बताया कि क्यों उन्हें अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन का फैसला करना पड़ा। साथ ही अनशन को पार्टी विरोधी बताने वाले प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को भी दो टूक जवाब दे दिया।
मौन रहकर अनशन करने वाले पायलट ने बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ‘वसुंधरा जी के कार्यकाल में जब हम विपक्ष में थे तो हमने बहुत सारे घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों को उजागार किया था।
हमने जनता से वादा किया था कि जब हम सरकार में आएंगे तब वसुंधरा जी और भाजपा के शासन में तमाम जो घोटाले हुए उसके खिलाफ प्रभावशाली कार्रवाई करेंगे। मैं चाहता था कि कांग्रेस सरकार में इस पर कार्रवाई हो। हम प्रतिशोध की भावना से काम नहीं करना चाहते, लेकिन जो स्थापित भ्रष्टाचार हुआ था उस पर हमने कार्रवाई नहीं की।’
पायलट ने कहा कि वह लगातार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ऐक्शन की मांग कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें जवाब भी नहीं दिया जा रहा था। उन्होंने कहा, ‘एक साल तक से ज्यादा मैंने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री को लिखित में कहा था। हमने और उन्होंने वसुंधरा जी पर कई आरोप लगाए थे, अब जब चुनाव में 6-7 महीने रह गए हैं, जनता के बीच हमें दोबारा जाना है।
इसलिए मैं चाहता था कि हम कार्रवाई करेंगे। पत्र लिखने के बाद, दो दो बार याद दिलाने के बाद भी जब कार्रवाई नहीं हुई। मैंने कई लेटर लिखे, आमतौर पर जवाब आ जाता था लेकिन इन दो पत्रों का जवाब नहीं आया। 4 साल बीत गए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए आज मैंने अनशन किया। उम्मीद करता हूं कि कार्रवाई होगी।’
सचिन पायलट ने पार्टी की ओर से ‘सख्ती के संकेत’ को दरकिनार करते हुए दो टूक कहा कि वह लंबे समय से भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते रहे हैं, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, ‘सुखजिंदर सिंह रंधावा कुछ दिन पहले ही प्रभारी बने हैं।
मैंने पहले के प्रभारी से भी बात की थी, लेकिन भ्रष्टाचार का मुद्दा अब भी बना हुआ है। हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना चाहिए और इसके खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी।’ इससे पहले रंधावा ने सोमवार रात एक बयान जारी करते हुए पायलट के अनशन को पार्टी विरोधी गतिविधि करार दिया था और कहा था कि उन्हें पार्टी फोरम में बात करनी चाहिए थी।