- वर्ल्ड फूड इंडिया कार्यक्रम के पहले दिन निवेश के वायदों की बौछार
- पतंजलि भी नए फूड पार्कों में 10,000 करोड़ रुपये लगाएगी
नई दिल्ली। देश के खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और रिटेल क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के इरादे से सरकार द्वारा आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया कार्यक्रम के पहले दिन आज निवेश के वायदों की बौछार हो गई। देसी-विदेशी कंपनियों ने 68,000 करोड़ रुपये के निवेश के वायदे किए।
पेप्सिको, कोका-कोला, आईटीसी, पतंजलि, कारगिल और ब्रिटानिया जैसी एफएमसीजी दिग्गजों तथा एमेजॉन और मेट्रो जैसी रिटेलरों समेत कई कंपनियों ने 13 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इसके जरिये उन्होंने पहले घोषित अपनी निवेश योजनाओं को औपचारिक जामा पहना दिया।
डिब्बाबंद खाद्य एवं पेय क्षेत्र की नामी कंपनी पेप्सिको ने सबसे अधिक 13,340 करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया। उसकी चिर प्रतिद्वंद्वी कोका-कोला ने 11,000 करोड़ रुपये लगाने की घोषणा की। पेप्सिको का यह निवेश भारत में 35,000 करोड़ रुपये लगाने की उसकी पूर्वघोषित योजना का ही हिस्सा है।
कोका-कोला ने जुलाई में कहा था कि वह अपने साथियों के साथ मिलकर निवेश करेगी ताकि भारत में कृषि की व्यवस्था मजबूत की जा सके। आईटीसी के मुख्य कार्याधिकारी संजीव पुरी ने आज 10,000 करोड़ रुपये के जिस निवेश का वायदा किया, उसकी मदद से 12 राज्यों में उपभोक्ता सामग्री के विनिर्माण एवं आवाजाही आदि के लिए 20 एकीकृत संयंत्र बनाए जाएंगे।
पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बाल कृष्ण ने बताया कि उनकी कंपनी भी नए फूड पार्कों में 10,000 करोड़ रुपये लगाएगी। संयुक्त अरब अमीरात के शराफ ग्रुप ने कृषि उत्पाद, संग्रह, प्रसंस्करण तथा निर्यात को मजबूत करने के लिए 5,000 करोड़ रुपये के निवेश का समझौता किया।
खाद्य क्षेत्र की कंपनियां ही नहीं रिटेल दिग्गज भी निवेश की कतार में खड़ी नजर आईं। एमेजॉन और मेट्रो इनमें सबसे आगे रहीं। एमेजॉन ने रिटेल कारेाबार में 3,450 करोड़ रुपये लगाने का वायदा किया और और मेट्रो ने थोक कारोबार में 1,690 करोड़ रुपये लगाने की बात कही।
जननी फूड्स, कारगिल, ब्रिटानिया, हेंस सिलेशियल, सीपी होलसेल और आरपी संजीव गोयनका ग्रुप ने 1,000-1,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि लगाने के समझौते किए।
खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा, ‘किसानों की आय दोगुनी करने तथा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारी रोजगार सृजन करने के हमारे लक्ष्य पूरे करने में यह निवेश मदद करेगा।’ इससे पहले सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण केंद्र बनाने के लिए इस क्षेत्र में निजी निवेश की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने सैकड़ों देसी-विदेशी कारोबारी हस्तियों से कहा, ‘आइए, भारत में निवेश करिए, जहां खेत से खाने की मेज तक भोजन पहुंचाने के असीम अवसर हैं।’
प्रधानमंत्री ने ऑनलाइन पोर्टल निवेश बंधु का उद्घाटन करने के बाद प्रतिनिधियों से कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकारें विभिन्न वित्तीय प्रोत्साहन दे रही हैं और विदेशी तथा देसी निवेशकों के लिए एकल खिड़की मंजूरी की सुविधा भी शुरू कर दी गई है, जिससे कारोबार करना और भी आसान हो जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘कोल्ड चेन और कृषि प्रसंस्करण को अब प्राथमिकता वाला क्षेत्र बना दिया गया है। हालांकि निजी निवेश में इजाफा हो रहा है, लेकिन अनुबंध पर होने वाली खेती, कच्चे माल की प्राप्ति और कृषि आपूर्ति की सुविधा तैयार करने में और भी निवेश की जरूरत है। रेफ्रिजरेटेड परिवहन व्यवस्था और कोल्ड चेन के बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है।’
बादल के अनुसार सरकार ने पूरे भारत में 42 मेगा फूड पार्क बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिनमें से नौ पहले ही काम करने लगे हैं। पहले दो महीनों में क्षेत्र को 1,300 करोड़ रुपये से अधिक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रस्ताव मिले हैं, जो पहले से अधिक हैं।
इस बीच नेस्ले के वैश्विक चेयरमैन पॉल बुल्के ने खाद्य सुरक्षा के मामले में चिंता जताते हुए सरकार के सामने मदद का हाथ बढ़ाया। उन्होंने कहा, ‘कुछ समय पहले हमारे सामने बहुत चुनौतीपूर्ण दौर था, जब खाद्य सुरक्षा की हमारी विरासत पर सवाल उठाया गया।
किसी भी संस्था के पाास खाद्य से जुड़ी सभी समस्याओं का जवाब नहीं होता, लेकिन हमें उन सबसे निपटना पड़ा। खाद्य सुरक्षा पर हम समझौता नहीं करते और इस मामले में अपनी महारत से हम आपकी मदद कर सकते हैं।’
यूनिलीवर की खाद्य अध्यक्ष अमेंडा सूरी ने कहा, ‘1.3 अरब की आबादी, बढ़ते हुए मध्य वर्ग, अमेरिका की पूरी आबादी से भी बड़े युवा वर्ग और लगातार बढ़ते शहरीकरण वाले भारत में 1 अरब से भी अधिक लोगों को पोषक, सुरक्षित और स्वादिष्टï भोजन मुहैया कराने के अवसर को लपका जाना चाहिए।’